Bihar Politics: बिहार की राजनीति में एक बार फिर बवाल खड़ा हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल में उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को शामिल कर बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है। विवाद इसलिए गहराया है क्योंकि दीपक न तो विधायक हैं और न ही विधान परिषद सदस्य, इसके बावजूद उन्हें मंत्री पद की शपथ दिला दी गई। इससे राजनीतिक गलियारों में सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह फैसला किसी विशेष राजनीतिक सौदेबाजी, दबाव या सीधे तौर पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का संकेत है।
उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा के पास चार विधायक हैं, जिनमें उनकी पत्नी स्नेहलता भी शामिल हैं, इसके बावजूद बेटे का चयन होने से विपक्ष इस निर्णय को राजनीतिक उत्तराधिकार का मॉडल बताने लगा है। चर्चा यह भी है कि हाल ही में दीपक प्रकाश सासाराम सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार रामनारायण पासवान के काउंटिंग एजेंट बने हुए थे, और कुछ ही दिनों में काउंटिंग एजेंट से मंत्री बनने तक उनकी राजनीतिक यात्रा ने विपक्ष को निशाना साधने का मौका दे दिया।
इसी मुद्दे पर जनशक्ति जनता दल के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने सोशल मीडिया पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने दीपक प्रकाश की वायरल तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि “सासाराम में जमानत भी न बचा पाने वाले उम्मीदवार के काउंटिंग एजेंट को मंत्री बना देना ही ‘मोदी-नीतीश का जादू’ है।” उनके बयान के बाद सोशल मीडिया पर सरकार के निर्णय, राजनीतिक मजबूरियों और परिवारवाद को लेकर बहस तेज हो गई है।

