पिछड़ा पावे सौ में साठ। यह नारा एक जमाने में जानेमाने समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने बुलंद किया था। मकसद था आबादी के हिसाब से सत्ता में पिछड़ों की भागीदारी हो। आज उन्हीं लोहिया को अपना गुरु मानने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुआई में बिहार की सभी पार्टियों ने मिलकर तय किया है कि राज्य के सभी लोगों की जाति के आधार पर जनगणना करवाएंगे ताकि आने वाले वक्त में यह सुनिश्चित हो सके कि जिसकी जितनी आबादी है उसे सत्ता में उतनी ही भागीदारी मिल सके।
दिलचस्प है कि कुछ ही दिनों पहले यह कहने वाली कि जातियां सिर्फ दो होती हैं, अमीर और गरीब, भाजपा भी इस जाति आधारित जनगणना के लिए सहर्ष सहमत हो गई है। आज जब यह तय हो रहा था कि राज्य में सर्वसम्मति से जाति आधारित जनगणना हो उससे ठीक पहले भाजपा के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने कहा था कि मुसलमानों की भी जाति जनगणना हो। उन्हें लगता था मुस्लिम इसका विरोध करेंगे। मगर दिलचस्प है, आज की बैठक में एमआईएम के नेता अख्तरुल ईमान की मौजूदगी में बिना किसी बहस के यह तय हो गया कि मुस्लिम ही नहीं राज्य के सभी धर्म और संप्रदाय के लोगों की जाति जनगणना होगी। बैठक के बाद अख्तरुल ने मीडिया से कहा कि आखिरकार भारत में जितने भी धर्म के लोग हैं वे मूलतः जातियों में ही बटे हैं। इसलिए मुसलमानों को जाति जनगणना से कोई परहेज नहीं।
इस वक्त जब देश में लोग हर मुद्दे पर दो धड़े में बंटे नजर आते हैं उस वक्त नीतीश कुमार ने केंद्र की मर्जी के खिलाफ जाते हुए इस मसले पर जिस तरह सर्वसहमति की राजनीति की है वह बताती है कि नीतीश में अभी भी राजनीतिक कौशल बचा हुआ है। यह आज के वक्त की बड़ी राजनीतिक परिघटना है।