Nationalist Bharat
शिक्षा

जहाँ आप पहुँचे छ्लांगे लगाकर,वहाँ मैं भी आया मगर धीरे-धीरे

ममता सिंह(शिक्षिका यूपीएस नारायणपुर यूo पीo)

रामदरश मिश्र जी की यह पंक्तियां आज बहुत शिद्दत से याद आ रहीं क्योंकि आज बेसिक स्कूलों के NAT का रिजल्ट आया पता चला यूपीएस नरायनपुर के बच्चों का प्रदर्शन ब्लॉक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ रहा,सुबह ही इस सुखद सूचना के साथ एक विभागीय साथी की ईर्ष्या भरी प्रवंचना भी पता चली जिन्होंने यह कहा कि मैंने अपने स्कूल में पेपर आउट कर दिया था हालांकि यह बात झूठी है तथापि यह भी सच है कि पेपर बच्चों की संख्या के सापेक्ष कम मिले थे तो उसे सील खुलने पर फ़ोटो कॉपी करवाया लेकिन उससे बच्चों को पेपर कैसे आउट हो गया मुझे समझ में नहीं आया.. हमने बिना रुके बिना थके वर्षपर्यन्त पढ़ाई की है उसके बाद भी ऐसे रिजल्ट पर किम आश्चर्यम !

याद आता है दिवाली के दिन क्लास के बाद घर लौटी तो छोटे भाई ने कहा दीदी क्या यह बच्चों के साथ अन्याय नहीं है जो उन्हें त्योहार के दिन भी पढ़ाया जा रहा..फिर दो तीन दिन पहले एक शुभचिंतक से बातचीत के क्रम में उन्होंने टोका कि छुट्टियों में क्लास चलाना बच्चों के साथ अत्याचार है.. मैं दोनों की बात से सहमत होते हुए भी एक्स्ट्रा क्लासेस को बंद नहीं कर सकती क्योंकि मेरे पास अन्य कोई उपाय नहीं है जिससे मैं अपने बच्चों की पठन पाठन संबंधी ज़रूरतों को पूरा कर सकूं.. मैं भारत की गैरबराबरी वाले समाज और यहां कि शिक्षाव्यवस्था को बदल नहीं सकती ,न ही अपने बच्चों और पांच सितारा स्कूलों के बच्चों के बीच की खाईं को पाट सकती हूं पर मैं इंच भर ही सही पर इस अंतर को कम करने का प्रयास कर सकती हूं और उसे करने की कोशिश में हूं..

एक तरफ़ समाज में ऐसे बच्चे हैं जिनके स्कूलों में हर विषय के अध्यापक हैं,साथ ही कक्षा अध्यापक,प्रधानाध्यापक, मैनेजर, क्लर्क,चपरासी,दाई सब अलग अलग होते हैं,जिनके माता पिता उनसे एक गिलास पानी भी नहीं उठवाते ताकि उनकी पढ़ाई डिस्टर्ब न हो..महंगी ऑनलाइन कोचिंग क्लासेस, ऑफलाइन ट्यूटर से लेकर तमाम टेस्ट,ओलंपियाड आदि आदि के साथ यह बच्चे देश की तमाम निजी और सरकारी नौकरियों के दावेदार होते हैं ..

दूसरी तरफ़ मेरे बच्चे जिन्हें घर,खेत,जानवरों के तमाम काम करने के बाद विद्यालय आने को मिलता है जहां उन्हें तीन कक्षाओं में दस विषयों के लिए मात्र एक अध्यापक मिला है..गंगाधर ही शक्तिमान है यह सब जानते हैं पर लोग शायद यह भी मानते हैं कि एकल शिक्षक हर विषय का उस्ताद होने के साथ साथ चपरासी,क्लर्क, हेड मास्टर, सफ़ाई कर्मी सब होता है.. एकल शिक्षक के लिए शिक्षा के अधिकार कानून की बात करना दंडनीय अपराध है पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना कर्त्तव्य…क्या इस गैरबराबरी की दुनिया में जब मेरे बच्चे किसी प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होंगे(यदि वह आगे पढ़ाई ज़ारी रख पाए )तो वह सरकार से यह मांग कर पाएंगे कि उन्हें प्रश्नपत्र में किसी तरह की छूट मिले क्योंकि उनकी पढ़ाई ग्रामीण क्षेत्र के एकल शिक्षक वाले विद्यालय में हुई है ?भारतभाग्य विधाताओं ने सरकारी स्कूलों में तमाम सुविधाएं दी हैं पर आज भी बहुत से विद्यालयों में हर विषय का अध्यापक तो छोड़ो हर क्लास को एक अध्यापक नहीं दिया है..

जब 2021 में इस विद्यालय का चार्ज मिला और घर घर जाकर नामांकन के लिए संपर्क किया तो लोगों ने स्कूल की जर्जर अवस्था,रास्ता तो छोड़िए इसलिए भी अपने बच्चों का नाम लिखवाने से इंकार कर दिया क्योंकि पूरे स्कूल में मैं अकेली शिक्षक थी..अपने बच्चों के भविष्य की बेहतरी के लिए सोचना हर मां बाप का कर्त्तव्य है सो उनका इनकार करना बुरा नहीं लगा ..इकाई की संख्या वाले विद्यालय को देखना बहुत बड़ी त्रासदी थी …बहुत मिन्नतों,बहुत समझाइश के बाद जिन्होंने मुझपर भरोसा किया और अपने बच्चों को मेरे विद्यालय में भेजा उन अभिभावकों की उम्मीदों को ठेस न पहुंचे इसके लिए पिछले पौने दो वर्ष में हम सबने होली, ईद के अलावा किसी भी दिन पढ़ाई से फुर्सत नहीं ली..गर्मी की छुट्टियां हों या सर्दी की..बारिश आई हो या तूफ़ान क्लासेस चलती रहीं और क्लासेस चलती रहेंगी..

किसी भी विद्यालय को सुधारने के लिए केवल बाहरी रंगरोगन या सजावट ही नहीं ज़रूरी बल्कि विद्यालय के आधार स्तंभ बच्चों के शैक्षिक,मानसिक,शारीरिक स्तर को सुधारना भी महत्वपूर्ण होता है,शिक्षकों की कमी या संसाधनों की कमी का रोना रोने के बजाय हमने घंटे,दिन,महीने,मौसम बिना गिने,बिना देखे काम किया हैं…हम किसी से प्रतियोगिता में नहीं हैं बस हम रोज़ अपने को बेहतर करने की कोशिश में हैं,आज मेरे पास ऊर्जा,उत्साह और समर्पण से भरी युवाओं की टीम है,स्कूल आने को उत्सुक बच्चे हैं,विद्यालय पर भरोसा और गर्व करने वाले अभिभावक हैं उसी का परिणाम है कि मेरे बच्चे बिना विज्ञान अध्यापक के ब्लॉक भर में सातवीं और आठवीं के वर्ग में टॉप करते हैं और छठवीं के वर्ग में चौथे स्थान पर रहते हैं..NAT की परीक्षा में हम फ़िर से ब्लॉक स्तर पर टॉप पर हैं..

इन सबके बीच सबसे खुशी की बात है बच्चों में सीखने की जिज्ञासा और जिजीविषा..बिना दबाव और बिना तनाव पढ़ने की इच्छा..जब टेंप्रेचर तीन डिग्री हो तो शायद ही कोई बच्चा जबरदस्ती ठेलकर पढ़ने भेजा जा सकता है पर मेरे बच्चे मेरे क्लास बंद करने के नाम पर हल्ला मचाते हैं,उदास होते हैं,आने की ज़िद करते हैं..कई विद्यालयों में शिक्षकों की भारी भरकम संख्या,शानदार लोकेशन,भौतिक संसाधनों की उपलब्धता के बावजूद बच्चों का नामांकन उच्च किंतु उपस्थिति निम्न मिलती है, पर यूपीएस नरायनपुर ऐसा विद्यालय है जहां बच्चों की उच्च उपस्थिति से शैक्षिक या गैर शैक्षिक दिवस का भेद मिट गया है।

प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद की शिक्षा मंत्री से मुलाकात।

CA का फाइनल रिजल्ट जारी, देश को मिले 11500 नए CA, हैरंब व ऋषभ बने टॉपर

Nationalist Bharat Bureau

बन्द होने के कगार पर पुरानी दिल्ली स्थित लाला हरदयाल पुस्तकालय

Nationalist Bharat Bureau

किताबों को अपना दोस्त बनाएं, समय कीमती है, इसे बर्बाद न करें: डॉ. सोबिया फातिमा

भाजपा छोड़ फिर AAP में शामिल हुए सुरेंद्र पाल सिंह बिट्टू

Nationalist Bharat Bureau

Potato-Onion Price Hike: एक बार फिर रुला सकते हैं आलू-प्याज के दाम

Bihar Teachers News : शिक्षकों के सेवाकालीन प्रशिक्षण के नियम में बदलाव

गृह मंत्री अमित शाह अगले महीने बिहार के दौरे पर आ सकते हैं

Nationalist Bharat Bureau

‘कॉफी पीने के शौकीन थे डॉ. मनमोहन सिंह’

Nationalist Bharat Bureau

पहले दिन सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बनी ‘पुष्पा 2’

Leave a Comment