P Chidambram-Aircel-Maxis Case:दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को एयरसेल-मैक्सिस मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के खिलाफ निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज धन शोधन के आरोपों पर आधारित कार्यवाही को लेकर चिदंबरम ने याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने ईडी को नोटिस जारी कर इस याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका में चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति के खिलाफ आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को निर्धारित की है और कहा कि विस्तृत आदेश बाद में जारी किया जाएगा।
P Chidambram-Aircel-Maxis Case:चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एन. हरिहरन और अन्य वकीलों ने तर्क दिया कि निचली अदालत ने अभियोजन के लिए आवश्यक मंजूरी के बिना आरोपपत्र पर संज्ञान लिया, जबकि चिदंबरम उस समय एक लोक सेवक थे। वकीलों ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 197(1) का हवाला देते हुए कहा कि अभियोजन के लिए मंजूरी प्राप्त करना अनिवार्य था, जिसे ईडी ने अब तक प्राप्त नहीं किया है।
ईडी के वकील ने तर्क दिया कि चिदंबरम पर लगे आरोप उनके आधिकारिक कार्यों से संबंधित नहीं हैं, इसलिए मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, चिदंबरम के वकीलों ने दलील दी कि विशेष न्यायाधीश ने बिना मंजूरी के अपराध का संज्ञान लिया, जो कानूनी रूप से गलत है।
निचली अदालत ने 27 नवंबर 2021 को एयरसेल-मैक्सिस मामले में चिदंबरम और उनके बेटे के खिलाफ सीबीआई और ईडी द्वारा दायर आरोपपत्रों पर संज्ञान लिया था। आरोप हैं कि 2006 में वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम ने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से मंजूरी दिलाने में अनियमितता की, जिससे कुछ लोगों को फायदा पहुंचा और रिश्वत ली गई।
P Chidambram-Aircel-Maxis Case:चिदंबरम की याचिका में कहा गया कि ईडी की शिकायत में उल्लिखित आरोपों पर संज्ञान लेने के आदेश को रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि यह मंजूरी के अभाव में दिया गया है। सीआरपीसी की धारा 197(1) के अनुसार, किसी लोक सेवक पर उनके आधिकारिक कार्यों के निर्वहन से जुड़े किसी अपराध के लिए अभियोजन चलाने से पहले सरकार की पूर्व मंजूरी आवश्यक है।
विशेष न्यायाधीश ने इससे पहले कहा था कि सीबीआई और ईडी द्वारा दायर भ्रष्टाचार और धन शोधन मामलों में आरोपियों को तलब करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। मामले का संबंध एयरसेल-मैक्सिस सौदे में एफआईपीबी से मंजूरी दिलाने में हुई कथित अनियमितताओं से है।

