PATNA:बिहार के सीतामढ़ी जिले के एक छोटे से गांव में एक प्रेम कहानी का अनोखा और सकारात्मक अंजाम हुआ है। दोनों युवक-युवती लंबे समय से एक-दूसरे के प्यार में थे, लेकिन सामाजिक और पारिवारिक दबावों के चलते वे खुलकर अपने रिश्ते को आगे नहीं बढ़ा पा रहे थे। हालांकि, एक दिलचस्प मोड़ आया, जब पंचायत मुखिया ने उनकी मदद करने का फैसला लिया और उनकी शादी को संभव बना दिया।
यह घटना जिले के बेलसंड प्रखंड के जाफरपुर गांव के वार्ड नंबर आठ की है। पंचायत के मुखिया मनोज कुमार सिंह को जानकारी मिली कि वार्ड नंबर आठ के मुस्तफा की 21 वर्षीय पुत्री महमूदा खातून और वार्ड दस के अकबर के 23 वर्षीय पुत्र आजम एक-दूसरे से प्रेम करते हैं। हालांकि, दोनों के परिवार और समाज के बीच विभिन्न कारणों से उनकी शादी में रुकावटें आ रही थीं।
न्यूज़ फॉर नेशन पोर्टल पर चल रही खबर के अनुसार मुखिया मनोज कुमार सिंह ने यह फैसला लिया कि चाहे जो हो, दोनों को शादी के बंधन में बांधने का प्रयास किया जाएगा। मुखिया की इस पहल ने गांव में एक मिसाल पेश की। दोनों युवक और युवती अब बालिग थे और उनके रिश्ते को लेकर गांव में कोई संकोच नहीं था, लेकिन समाज और परिवार के डर के कारण वे अपनी इच्छाओं को पूरी तरह से व्यक्त नहीं कर पा रहे थे। दोनों अक्सर छुपकर मिलते थे और एक-दूसरे से अपने सुख-दुख साझा करते थे। हालांकि, शादी के लिए वे हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे।
लड़के का परिवार अपेक्षाकृत संपन्न था, जबकि लड़की का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था। मुखिया ने पंचायत के लोगों से विमर्श किया और मौलवी को बुलाकर दोनों का निकाह (शादी) करवा दी। इस प्रक्रिया में लगभग 15,000 रुपये खर्च हुए, जो मुखिया ने अपनी जेब से दिए। यह पहल सिर्फ युवक-युवती के लिए नहीं, बल्कि पूरे गांव के लिए एक प्रेरणा बन गई। लड़की के पिता मजदूरी करते हैं और वे आर्थिक रूप से कमजोर हैं, लेकिन मुखिया के प्रयासों से उनका सपना भी पूरा हो गया।
इस पहल की ग्रामीणों ने जमकर सराहना की है, और मुखिया मनोज कुमार सिंह की कार्यशैली की सराहना करते हुए सभी ने उन्हें बधाई दी है। अब, यह प्रेम कहानी केवल एक सुखद अंत के रूप में नहीं, बल्कि समाज के बदलाव और मानवता की एक मिसाल के रूप में सामने आई है।

