नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच खाई और गहरी हो गई है, जब अरविंद केजरीवाल ने साफ शब्दों में कहा कि उनकी पार्टी का कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा। अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी संकेत दिए हैं कि वह नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) से दूरी बनाने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली चुनाव में भाजपा जदयू के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं है, और इस बारे में पार्टी की प्रदेश यूनिट ने केंद्रीय नेतृत्व को अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।
दिल्ली भाजपा की रणनीति
दिल्ली भाजपा की प्रदेश यूनिट का मानना है कि पार्टी को जमीनी कार्यकर्ताओं को चुनावी मैदान में उतारना चाहिए और जदयू के साथ गठबंधन नहीं करना चाहिए। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तीन सीटें—बुराड़ी, किराड़ी और सीमापुरी—जदयू के लिए छोड़ी थीं, लेकिन इन तीनों पर जदयू को करारी हार का सामना करना पड़ा था। ये सीटें आम आदमी पार्टी ने जीती थीं। इन नतीजों को ध्यान में रखते हुए भाजपा की प्रदेश इकाई इस बार गठबंधन से बचने के पक्ष में है। हालांकि, अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व को लेना है।
जदयू की स्थिति
जदयू अभी भी भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की इच्छुक है। यदि भाजपा इस बार जदयू को साथ लेकर नहीं चलती, तो यह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के भीतर दरार का संकेत हो सकता है।
कांग्रेस और आप आमने-सामने
दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि वह दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ेगी और कांग्रेस के साथ किसी भी प्रकार के गठबंधन की संभावना से इनकार कर दिया है। यह स्थिति दिलचस्प इसलिए है क्योंकि दोनों दल राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन दिल्ली में ये एक-दूसरे के कट्टर प्रतिद्वंद्वी बन चुके हैं।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव फरवरी 2025 में होने की संभावना है, और राजनीतिक दलों के बीच यह खींचतान चुनाव से पहले और भी तेज हो सकती है।

