पटना जिला अंतर्गत सबनीमा मध्य विद्यालय की शिक्षिका सायरा खुर्शीद एक ऐसी शिक्षिका हैं, जिन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद शिक्षण के क्षेत्र में कदम रखा और बच्चों के जीवन को संवारने का बीड़ा उठाया। 2007 में अपनी शिक्षण यात्रा शुरू करने वाली सायरा ने शुरुआत में नौवीं और दसवीं कक्षा के बच्चों को पढ़ाया, और अब वे कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को ज्ञान और प्रेरणा दे रही हैं। उनकी यह यात्रा केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने बच्चों के सर्वांगीण विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया।
सायरा खुर्शीद का बच्चों के साथ एक विशेष रिश्ता है। उनके अनुसार, हर दौर में उन्हें बच्चों का प्यार, स्नेह और सम्मान मिला है। यह उनके प्रति बच्चों का लगाव ही है जो उन्हें और अधिक समर्पित बनाता है। सायरा बच्चों को न केवल पाठ्यक्रम पूरा करने में मदद करती हैं, बल्कि मासिक मूल्यांकन के माध्यम से उनकी प्रगति को भी ट्रैक करती हैं। इसके अलावा, वे पाठ्यपुस्तकों से हटकर सामान्य ज्ञान, करेंट अफेयर्स, प्रेरक कहानियाँ और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करती हैं, ताकि बच्चों का दृष्टिकोण व्यापक हो।

सायरा का मानना है कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं होनी चाहिए। वे बच्चों को उनके भविष्य के लक्ष्यों को निर्धारित करने और उन तक पहुँचने के तरीके सिखाती हैं। वे बच्चों को प्रेरित करती हैं कि अगर उनमें प्रतिभा और मेहनत है, तो आर्थिक बाधाएँ उनके सपनों को रोक नहीं सकतीं। इसके साथ ही, वे सामाजिक और नैतिक मूल्यों को भी बढ़ावा देती हैं। मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम और सुरक्षित शनिवार के तहत बच्चों को मॉक ड्रिल के माध्यम से जागरूक करना, आत्मसम्मान की रक्षा, स्वच्छता, और स्वास्थ्य संबंधी आदतें जैसे हाथ धोने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करना उनकी शिक्षण शैली का हिस्सा है।
सायरा बच्चों को सामाजिक मुद्दों, जैसे कि मासिक धर्म के प्रति शर्मिंदगी न महसूस करने जैसे विषयों पर जागरूक करती हैं। वे बच्चों को आत्मविश्वास और आत्मसम्मान के गुण सिखाती हैं। इसके अलावा, सरकार की योजनाओं की जानकारी देना और उनमें बच्चों व उनके परिवारों की मदद करना भी उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है। उनकी कोशिशों का एक उदाहरण है वीर गाथा 4 में बच्चों को सर्टिफिकेट दिलवाने में उनकी मेहनत, जो बच्चों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

सायरा का मानना है कि एक शिक्षक की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बच्चों को यह विश्वास दिलाना है कि “तुम कर सकते हो।” उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन ने कई बच्चों को अपने सपनों की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है। उनका यह विश्वास कि मेहनत और प्रतिभा के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती, बच्चों के मन में गहरी छाप छोड़ता है। यही कारण है कि बच्चे उनसे गहरा जुड़ाव महसूस करते हैं।
सायरा खुर्शीद केवल एक शिक्षिका नहीं, बल्कि बच्चों के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उनकी शिक्षण शैली, जो किताबी ज्ञान के साथ-साथ जीवन कौशलों और नैतिक मूल्यों को जोड़ती है, उन्हें एक असाधारण शिक्षिका बनाती है। सबनीमा मध्य विद्यालय में उनके योगदान ने न केवल बच्चों की शिक्षा को बेहतर बनाया है, बल्कि उनके जीवन को भी एक नई दिशा दी है। सायरा जैसी शिक्षिकाएँ समाज के भविष्य को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

