बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राज्य की मतदाता सूची में बड़े बदलाव किए गए हैं। भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया पूरी कर ली है, जिसके तहत 22 साल बाद पहली बार इतनी व्यापक सफाई अभियान चलाया गया। इस प्रक्रिया में जहां 47 लाख पुराने नाम हटाए गए, वहीं 18 लाख नए मतदाताओं को जोड़ा गया है। अब बिहार में कुल 7.42 करोड़ मतदाता पंजीकृत हैं। चुनाव आयोग का कहना है कि यह कदम पारदर्शिता और शुद्ध मतदाता सूची तैयार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को कहा कि बिहार में वर्षों से लंबित मतदाता सूची का सत्यापन इस बार तकनीकी और जमीनी स्तर पर दोनों माध्यमों से किया गया। उन्होंने बताया कि “डुप्लिकेट, मृत या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाने के साथ-साथ नए योग्य मतदाताओं को जोड़ा गया है, ताकि राज्य की हर विधानसभा में निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित किया जा सके।” आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में किसी तरह का पक्षपात नहीं किया गया है और सभी जिलों से फीडबैक लेकर अंतिम सूची तैयार की गई है।
जानकारी के अनुसार, मगध क्षेत्र में सबसे अधिक नए मतदाता जोड़े गए हैं, जबकि सीमांचल क्षेत्र में लगभग 7.7 प्रतिशत मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं। वहीं, गोपालगंज जिले में यह संख्या सबसे ज्यादा रही, जहां 12.3 प्रतिशत नाम सूची से हटाए गए हैं। चुनाव आयोग ने इस पूरी प्रक्रिया में स्थानीय प्रशासन, पंचायत प्रतिनिधियों और बीएलओ (ब्लॉक लेवल ऑफिसर्स) की मदद ली। नई तकनीक के माध्यम से फर्जी और दोहराव वाले नामों की पहचान की गई, जिससे मतदाता सूची को “सटीक और विश्वसनीय” बनाया जा सके।
हालांकि, इस कार्रवाई को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा है कि जिन क्षेत्रों में विपक्ष का प्रभाव अधिक है, वहां बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम काटे गए हैं। राजद (RJD) और कांग्रेस ने इसे “चुनावी साजिश” बताया है और चुनाव आयोग से पुनः सत्यापन की मांग की है। वहीं, सत्तारूढ़ एनडीए ने इसे “लोकतंत्र को मजबूत करने वाला कदम” बताया है।
चुनाव आयोग ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि पूरी प्रक्रिया वेब मॉनिटरिंग और GPS आधारित सत्यापन प्रणाली से की गई है। साथ ही, आयोग ने ऐलान किया है कि बिहार विधानसभा चुनाव में 100 प्रतिशत मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग की जाएगी ताकि पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके।
चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि अब से हर साल जनवरी और जुलाई में मतदाता सूची की नियमित समीक्षा की जाएगी, ताकि आने वाले चुनावों में किसी मतदाता का नाम छूटे नहीं। आयोग ने आम जनता से अपील की है कि वे अपना नाम ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से जांचें और किसी त्रुटि की स्थिति में सुधार के लिए आवेदन करें।
कुल मिलाकर, बिहार में मतदाता सूची का यह “शुद्धिकरण अभियान” राज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि संशोधित मतदाता सूची का आगामी विधानसभा चुनावों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

