बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस लगातार समीक्षा बैठकों का दौर जारी रखे हुए है। दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व की बैठक के बाद प्रदेश स्तर पर हुई समीक्षा बैठक में 15 जिलाध्यक्ष शामिल नहीं हुए, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें नोटिस जारी किया है। कांग्रेस नेताओं ने दिल्ली बैठक में हार का ठीकरा राजद और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर फोड़ा था। इसके बाद से ही महागठबंधन में दरार की चर्चा तेज हो गई है। अब जिलाध्यक्षों की गैरहाजिरी ने पार्टी में असंतोष और संभावित टूट के संकेत और गहरा दिए हैं।
प्रदेश नेतृत्व ने बैठक में अनुपस्थित रहने को गंभीर अनुशासनहीनता करार दिया है। पार्टी ने सभी 15 जिलाध्यक्षों से लिखित जवाब मांगा है और साफ किया है कि संगठनात्मक बैठकों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बैठक के दौरान प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने कहा कि चुनावी हार के बाद संगठन में ढिलाई स्वीकार्य नहीं है। वहीं चुनाव के दौरान पार्टी-विरोधी गतिविधियों में शामिल 43 नेताओं पर कार्रवाई के लिए हाईकमान से अनुमति भी मांगी गई है।
कांग्रेस जिन जिलाध्यक्षों को नोटिस भेजे हैं उनमें शामिल हैं—प्रमोद सिंह पटेल (पश्चिम चंपारण), शशिभूषण राय (पूर्वी चंपारण), शाद अहमद (अररिया), सुबोध मंडल (मधुबनी), सुनील यादव (कटिहार), गुरुजीत सिंह व उदय चंद्रवंशी (पटना ग्रामीण), आर.एन. गुप्ता (सुपौल), परवेज आलम (भागलपुर), अनिल सिंह (जमुई), मनोज पांडेय (बक्सर), उदय मांझी (गया), अरविंद कुमार (लखीसराय), इनामुल हक (मुंगेर) और रोशन कुमार (शेखपुरा)। नेतृत्व ने संकेत दिया है कि संगठन का पुनर्गठन तेज किया जाएगा और लापरवाही दिखाने वालों पर कड़ी कार्रवाई तय है।

