भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की पांचवीं बैठक में रेपो रेट में कटौती करते हुए करोड़ों कर्जदारों को बड़ी राहत दी है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ‘गोल्डीलॉक्स मोमेंट’ बताया—ऐसी स्थिति जिसमें विकास मजबूत हो और महंगाई नियंत्रण में रहे। पहली छमाही में 8% GDP ग्रोथ और लगातार गिरती महंगाई दर ने देश की आर्थिक स्थिति को और मजबूत किया है।
अर्थव्यवस्था की रफ्तार को देखते हुए आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 (FY26) के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान बढ़ाकर 7.3% कर दिया है, जो पहले 6.8% था। इसी के साथ महंगाई का अनुमान भी घटाकर 2% कर दिया गया है, जिससे आने वाले महीनों में उपभोक्ताओं को और राहत मिलने की उम्मीद है। आरबीआई का ‘न्यूट्रल’ रुख बताता है कि अब फोकस केवल महंगाई नियंत्रण पर नहीं, बल्कि विकास को सपोर्ट करने पर भी होगा। विनिर्माण और सेवा क्षेत्र की मजबूती, त्योहारों के बाद भी बनी मांग और 686 अरब डॉलर के मजबूत फॉरेक्स रिजर्व ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अतिरिक्त स्थिरता दी है।
गवर्नर ने संकेत दिया कि ब्याज दरों में की गई कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा, क्योंकि बैंक होम, ऑटो और बिजनेस लोन पर ब्याज दरों को और कम कर सकते हैं। बैंकों को ग्राहकों को केंद्र में रखकर काम करने की सलाह देते हुए आरबीआई ने आश्वस्त किया कि बाजार में तरलता की कमी नहीं होने दी जाएगी। कुल मिलाकर, मौद्रिक नीति के ये फैसले बताते हैं कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत एक मजबूत ‘स्वीट स्पॉट’ में खड़ा है।

