रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने स्पष्ट किया है कि भारत और रूस की साझेदारी पूरी तरह सकारात्मक है और किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों का सहयोग सिर्फ अपने-अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और आर्थिक-सामरिक स्थिरता को मजबूत करने पर केंद्रित है। पुतिन ने यह बयान अमेरिका के हालिया आक्रामक रुख और भारतीय उत्पादों पर लगाए गए भारी शुल्कों की पृष्ठभूमि में दिया।
पुतिन ने जोर देकर कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में भारत और रूस का सहयोग पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद लगभग अप्रभावित है। उन्होंने कहा कि कुछ अंतरराष्ट्रीय शक्तियाँ भारत की बढ़ती भूमिका से असहज हैं और राजनीतिक कारणों से बाधाएँ उत्पन्न करने की कोशिश कर रही हैं। रूस से कच्चे तेल की खरीद पर अमेरिका की आपत्ति को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि यदि अमेरिका भी रूसी ऊर्जा संसाधन खरीदता है, तो भारत को ऐसा करने से रोकने का कोई आधार नहीं है। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि मोदी आसानी से दबाव में आने वाले नेता नहीं हैं और भारत के हितों की दृढ़ता से रक्षा करते हैं।
यूक्रेन संघर्ष पर पुतिन ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि अमेरिका इस मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है, हालांकि इसके पीछे राजनीतिक या आर्थिक उद्देश्य भी जुड़े हो सकते हैं। द्विपक्षीय व्यापार को लेकर उन्होंने बताया कि भारत-रूस के 90% से अधिक लेनदेन अब राष्ट्रीय मुद्राओं में हो रहे हैं, जिससे प्रतिबंधों का असर सीमित रहा है। पुतिन ने कहा कि मोदी के साथ रणनीतिक सहयोग क्षेत्रीय स्थिरता को सुनिश्चित करने और दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


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