इंडिगो की लगातार उड़ानें रद्द होने और यात्रियों के फंसने की बढ़ती घटनाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने इसे “गंभीर संकट” करार देते हुए केंद्र सरकार से सवाल किया कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिससे हालात इतने खराब हो गए कि हजारों यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ी। अदालत ने कहा कि फ्लाइट कैंसिलेशन से न केवल यात्रियों का समय और पैसा बर्बाद हुआ, बल्कि पूरे नागरिक उड्डयन क्षेत्र की साख पर असर पड़ा है।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस बात पर भी चिंता जताई कि इंडिगो की उड़ानें रुकने के समय अन्य एयरलाइंस ने अचानक टिकटों के दाम बढ़ा दिए। अदालत ने पूछा कि ऐसी संकटपूर्ण स्थिति में किराए में बढ़ोतरी को कैसे न्यायोचित माना जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि यात्रियों के हितों की रक्षा करना और एयरलाइंस की जवाबदेही सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।
केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि इंडिगो को शो-कॉज नोटिस जारी किया जा चुका है और कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जा रही है। सरकार ने अदालत को यह भी बताया कि एयरलाइन ने अपनी गलती स्वीकार कर माफी मांगी है और स्थिति सुधारने का आश्वासन दिया है। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई में विस्तृत जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए।

