कई दशक पुराने चारा घोटाला मामले में अदालत ने अब कड़ा रुख अपनाते हुए प्रतिदिन सुनवाई का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के लंबित मामलों के शीघ्र निपटारे संबंधी निर्देशों के बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने केस को स्पीड ट्रायल मोड में लेने का फ़ैसला किया। विशेष सीबीआई न्यायाधीश राकेश कुमार ने सभी आरोपितों को अगली कार्यवाही तक हर तारीख पर सशरीर उपस्थित रहने का सख़्त निर्देश जारी किया है। इस हाई-प्रोफाइल केस में लालू प्रसाद यादव सहित 18 आरोपितों के खिलाफ सुनवाई जारी है।
1996 से लंबित यह मामला बिहार की राजनीति और भ्रष्टाचार इतिहास का सबसे चर्चित फाइनेंशियल क्राइम माना जाता है। आरोपपत्र के अनुसार इस केस में 250 से अधिक गवाह शामिल थे, जिनमें से अब तक 110 अपनी गवाही दे चुके हैं। अदालत की प्रतिदिन सुनवाई का निर्णय लंबे समय से अटके इस मुकदमे को तेजी से तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
यह पूरा मामला बांका उप-ज़िला कोषागार से पशुपालन विभाग में जाली विपत्रों का उपयोग करते हुए लगभग 45 लाख रुपये की ग़ैर-क़ानूनी निकासी से जुड़ा है। सीबीआई ने इसे वर्ष 1996 में आरसी 63(ए)/96 के रूप में दर्ज किया था। कुल 44 आरोपितों में तत्कालीन मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक और आईएएस अधिकारी भी शामिल थे। कोर्ट की ताज़ा सख्ती से स्पष्ट है कि यह दो दशक पुराना घोटाला अब अपने अंतिम निर्णय की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है।

