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E-Commerce कंपनियों पर लगाम लगाने की तैयारी,पैसे देकर नहीं करा पाएंगी फर्जी रिव्यू,

नई दिल्ली। आम तौर पर  कम्पनियाँ  पेड रिव्यू कराकर ग्राहकों में अपना विश्वाश बढाती हैं और उससे अपना व्यापर बढाती हैं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि अब  ई-कॉमर्स कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर बिकने वाले सामान का फर्जी रिव्यू डालकर आम आदमी को गुमराह नहीं कर सकेंगी। फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी E Commerce कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर उत्पादों और सेवाओं के रिव्यू के स्रोत का खुलासा करना होगा। कंपनियों को बताना होगा कि ये रिव्यू प्रायोजित तो नहीं हैं और क्या इनके लिए कोई भुगतान किया गया है? सरकार नकली समीक्षाओं पर अंकुश लगाने के लिए नए मानदंड ला रही है।मोदी सरकार ने फेक रिव्यू और पेड रिव्यू पर रोक लगाने के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं. नई Guidelines के तहत, कंपनियों के दोषी पाए जाने पर 10 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. E Commerce कंपनियों के लिए ये नई गाइडलाइंस 25 नवंबर से लागू होंगी. इन नए नियमों का मकसद फेक और पेड रिव्यूज पर सरकारी शिकंजा कसना है. इनके लागू हो जाने के बाद ई-कॉमर्स कंपनियां(E Commerce) अब फेक और पेड रिव्यूज नहीं करवा पाएंगी.ख़बरों के अनुसार केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह  ने सोमवार को इसकी नियमावली (बायलाज) जारी करते हुए बताया कि यह 25 नवंबर से लागू हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से जहां अच्छी सेवा और उत्पाद बेचने वाली कंपनियों को लाभ होगा, वहीं उपभोक्ताओं को ठगने वालों पर नियंत्रण लगाने में मदद मिलेगी।ख़बरों के अनुसार बढ़ती शिकायतों को देखते हुए नियमावली तैयार करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। इसमें प्रमुख ई-कामर्स कंपनियों (E Commerce)के साथ उद्योग व व्यापार संगठनों के प्रतिनिधियों भी शामिल थे।

 

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ग्राहकों को सही प्रोडक्ट खरीदने में मिलेगी मदद

सरकार द्वारा सोमवार को जारी नियमों के तहत, अब पेड रिव्यू को अलग से मार्क करना होगा. इससे ग्राहकों को मदद मिलेगी. उपभोक्ता रिव्यूज के आधार पर ग्राहक सही प्रोडक्ट खरीद सकेंगे. ई-कॉमर्स कंपनियों(E Commerce) में गाइडलाइंस लागू करने पर सहमति बन गई है. आपको बता दें कि अभी गाइडलाइंस अनिवार्य नहीं है. हालांकि, जल्द ही गाइडलाइंस को अनिवार्य बनाया जाएगा. गाइडलाइंस के तहत, अगर E Commerce कंपनियां नहीं मानती हैं, तो कंपनियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. यह कार्रवाई कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत होगी.नियमों के मुताबिक, यह मामला अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस में आएगा. इसके तहत कंपनियों पर पेनल्टी लगाने का प्रावधान होगा. कंपनियों पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है.आपको बता दें कि ऐसे फर्जी रिव्यूज की वजह से ग्राहकों को प्रभावित करने से जुड़े मामले सामने आते रहे हैं, जहां उन्होंने रिव्यू पर भरोसा कर गलत प्रोडक्ट खरीदकर नुकसान उठा लिया. नई गाइडलाइन(GUIDLINES) के साथ यह उम्मीद बंधेगी कि लोग आगे ऐसे फर्जी रिव्यू से बच सकेंगे.

 

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बता दें कि ई-कॉमर्स कंपनियां(E Commerce) किसी भी उत्पाद के साथ उस प्रोडक्ट को खरीद चुके और इस्तेमाल कर रहे ग्राहकों के रिव्यू भी देती हैं. इनका मकसद ग्राहक को प्रोडक्ट को लेकर सही जानकारी देना होता है. हालांकि सेल्स बढ़ाने के लिए कई बार E Commerce कंपनियां चुनिंदा ग्राहकों को गिफ्ट आदि देकर अपने प्रोडक्ट के लिए सकारात्मक रिव्यू लिखने को कहती हैं.

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