पटना:कुछ देर बाद बिहार के विधानसभा में अब तक का सबसे बड़ा राजनीतिक घमासान होने जा रहा है।एक तरफ भारतीय जनता पार्टी की अगवाई वाली एनडीए सरकार को अपना बहुमत साबित करना है तो दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन की अगुवाई वाली पार्टी राष्ट्रीय जनता दल कांग्रेस और लिफ्ट की पार्टियों को अपनी ताकत दिखाने का अवसर है। अब तक के आंकड़ों के अनुसार कहा यह जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बहुमत परीक्षा में कामयाब होंगे और अपनी सरकार बचा ले जाएंगे लेकिन मीडिया में आ रही खबरे के अनुसार जनता दल यूनाइटेड और भाजपा के विधायकों को जिस तरह से रखा गया है ऐसे में संभावना है कि खेल हो सकता है।
दरअसल बिहार में इस तरह का मामला बहुत कम ही देखने को मिलता है। पिछले 15 ,17 सालों में नीतीश कुमार ने कई बार पलटी मारी है लेकिन ऐसी राजनीतिक स्थिति का सामना कभी भी नहीं करना पड़ा है। नीतीश कुमार ने बड़ी आसानी से पलटी मारी है और बहुत ही आसानी से सरकार भी बना ली है।लेकिन जनवरी 2024 में नीतीश कुमार के द्वारा इंडिया गठबंधन से अलग होकर एनडीए गठबंधन में शामिल होने के बाद विश्वास मत हासिल करने के लिए जिस तरह की राजनीतिक उठापटक देखने को मिल रही है उससे साफ है कि नीतीश कुमार की राह इस बार इतनी आसान नहीं जितनी खुद नीतीश कुमार ने सोच रखी थी।इस बीच विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के द्वारा त्यागपत्र ना देने और विधानसभा के फ्लोर की कार्रवाई का संचालन करने की बात कहे जाने के बाद जो संवैधानिक संकट की बात सामने आई है वह भी नीतीश कुमार के लिए परेशानी का सबब है।
इस बीच रविवार को राष्ट्रीय जनता दल के प्रधान राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद मनोज झा के द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिस तरह का रुख अपनाया गया है उससे भी साफ जाहिर होता है कि राष्ट्रीय जनता दल भी कोई कोर कसर बाकी रखने के मूड में नहीं है और वह भी अपनी ताकत का भरपूर प्रदर्शन करने को आतुर है।ऐसी स्थिति में अब से कुछ देर बाद होने वाले बहुमत परीक्षण का नजारा भी बड़ा दिलचस्प होगा। अंतिम समय तक कोई यह नहीं कर सकता है कि जीत किसकी होगी।
दूसरी तरफ बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार के दौर का यह सबसे कठिन दौर है और सोमवार को होने वाले फ्लोर टेस्ट में कुछ भी हो सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक एक स्थिति यह है कि विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को पहली फुर्सत में अपदस्थ करके जनता दल यूनाइटेड और एनडीए के विधायक गण अपने अनुरूप कार्रवाई को संचालित करें और विश्वास मत का वोट हासिल कर ले तो दूसरी तरफ अगर विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने इस्तीफा नहीं दिया और उनके खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव भी पास नहीं हो पाया तो ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा के पटल पर आज का घटनाक्रम पल-पल में बदलता हुआ दिखाई देगा जिसमें सत्ता पक्ष सत्ता बचाने और बिगड़ना के हर एक आजमाएगा।