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क्या नीतीश जी को यह आभास हो गया है कि एक मुख्यमंत्री के रूप में उनका यह आखिरी सत्र है ?

पटना:आरसीपी सिंह की ख़ास और इस्पात मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की सदस्य डॉक्टर रिंकू कुमारी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के द्वारा सनसनीखेज खुलासा किया है।डॉक्टर रिंकू कुमारी ने ग्रीष्मकालीन सत्र के दौरान नीतीश कुमार की ख़ामोशी पर सवाल उठाते हुए कई सवालात किये हैं और भविष्यवाणी कर डाली है कि ये नीतीश कुमार का बतौर मुख्यमंत्री आख़िरी सत्र साबित होगा।उन्होंने लिखा कि ग्रीष्मकालीन सत्र में नीतीश जी का रौद्र रूप देखने को मिला था l विधानसभा अध्यक्ष को औकात में रहकर अध्यक्षता करने की नसीहत दी थी l लेकिन मानसून सत्र में नीतीश जी पूरी तरह खामोश रहे l आखिर ऐसा क्या हुआ कि दहाड़ने वाला नेता खामोश हो गये ?क्या नीतीश जी को यह आभास हो गया है कि एक मुख्यमंत्री के रूप में उनका यह आखिरी सत्र है ? क्या उन्हें एहसास हो गया है कि उपेंद्र कुशवाहा को जदयू में लाकर एक बड़ी भूल कर दी है ? उपेंद्र कुशवाहा के जदयू में आने से पहले जदयू में कोई गुटबाजी नहीं थी l सबकुछ सहज व सरल था l जदयू की एकजुटता चट्टान की तरह थी l न ललन खेमा था …न आरसीपी खेमा …न उपेंद्र खेमा … न श्रमण कुमार खेमा l ऐसे में नीतीश जी बादशाहत चलती थी l

उन्होंने आगे लिखा कि अब जदयू की हालत यह हो गयी है कि एक एक विधायकों की निगरानी हो रही है l उनकी जासूसी और मुखबीरी हो रही है l उनके लोकेशन को वाच किया जा रहा है l महाराष्ट्र प्रकरण के बाद जदयू में एक बड़ी टूट की आशंका बलवती होती जा रही है l आरसीपी प्रकरण के बाद जितने भी दलीलें दी जाए लेकिन सच्चाई यह है कि किसी विधायक ने खीरु महतो को लेकर ख़ुशी व्यक्त नहीं की l उन्हें जबरन एक थोपा हुआ फैसला लगा l इसका असर पहली बार मानसून सत्र में देखने को मिला l जदयू के लगभग 30 विधायक नीतीश जी के साथ सिर्फ औपचारिकता निभा रहे थे l उनमें तेवर व जोश का अभाव था l नीतीश स्थिति को भांप चुके हैं l उन्हें एहसास हो चुका है कि वे आरसीपी सिंह को राज्यसभा न भेजने की कीमत मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़कर चुकानी पड़ेगी l

डॉक्टर रिंकू कुमारी ने लिखा कि नीतीश जी को लगने लगा है कि उपेंद्र कुशवाहा और ललन सिंह ने रामचंद्र को वनवास भेजने में मंथरा का काम किया l थोड़े समय के लिए मति जरूर विचलित कर दिया l जो कदम न उठाना था , भावावेश में आकर वह कदम उठा लिया l नीतीश जी विगत 15 दिनों से गुमसुम हैं l कुछ नहीं बोल पा रहे हैं l नीतीश जी उपेंद्र कुशवाहा और ललन सिंह के चाल में बुरी तरह से फंस चुके हैं l नीतीश जी देर से ही सही इन दोनों नेताओं की मंशा भांप चुके हैं कि ” आरसीपी सिंह तो एक बहाना है , असली मकसद नीतीश को ही निपटाना है l ” मंशा भांपने के बावजूद नीतीश लाचार हैं … मजबूर हैं l इनके हाथों से बहुत कुछ निकल चुका है l अपने किये पर पछताना लाजमी है l वक़्त को देखते हुए खामोश रहना समझदारी है l

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