Nationalist Bharat
शिक्षा

वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्यों जरूरी है यह बात प्रोफेसर यशपाल ने ही सबसे पहले बताई

अवधेश पांडे
प्रोफ़ेसर यशपाल की सबसे बड़ी खाशियत ये है कि वे छोटे से छोटे बच्चे से भी जब विज्ञान के बारे में बात करते थे तो उसके स्तर पर आकर करते थे। वे चाहते थे कि लोग उनसे सवाल करें। कोई भी व्यक्ति उनसे कैसा भी सवाल पूछ सकता था और वे सभी को बहुत प्यार से जवाब देते थे, चाहे वो सवाल कितना ही बेतुका क्यों न हो।

प्रो. यशपाल ने खूब सोचा और खूब काम किया और खूब कल्पनाएं कीं। वे उस दौर के वैज्ञानिक थे जब आप एक साथ वैज्ञानिक और कलाकार दोनों ही हो सकते हैं। प्रो. यशपाल का मानना था कि जिस प्रकार इंसान एक होता है, ज्ञान भी एक होता है। यदि किसी कलाकार को भाषा की संवेदना नहीं है तो उसके आविष्कारक होने में शक है। इसीलिए वे बार-बार यह कहते थे कि IIT हो या और कोई वैज्ञानिक शिक्षण संस्थान, उसमें सोशल साइंस, लिटरेचर और आर्ट का होना और बराबरी से होना ज़रूरी है।

26 नवंबर 1926 को झांग (वर्तमान पाकिस्तान) में जन्मे प्रोफेसर यशपाल ने अपने कैरियर की शुरुआत टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से की थी। उन्हें भारत में अंतरिक्ष विज्ञान का जनक कहा जाता है। वे 1973 में स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के पहले डायरेक्टर बने। उनका वैज्ञानिक शोध कॉस्मिक किरणों पर गहरे अध्ययन के लिए जाना जाता है। 1993 में बच्चों की शिक्षा में बस्ते के बोझ के मुद्दे पर भारत सरकार ने प्रो. यशपाल की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई, जिसे यशपाल कमेटी का नाम दिया गया। 2009 में यूनेस्को ने उन्हें कलिंग पुरुस्कार से सम्मानित किया।उन्हें 1976 में पद्म भूषण और 2013 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया। प्रोफेसर यशपाल दूरदर्शन पर टर्निंग प्वाइंट नाम के साइंटिफिक प्रोग्राम को होस्ट भी करते थे, जो काफी लोकप्रिय था। 2007 से 2012 तक प्रोफेसर यशपाल JNU के वाइस चांसलर रहे। उन्होंने UGC के मुखिया के तौर पर भी काम किया।

प्रोफेसर यशपाल की सबसे बड़ी सहजता यह थी कि वे खुद बच्चों से प्रश्न आमंत्रित करते थे। वे कहते थे कि जब तुम मुझसे वैज्ञानिक सवाल करते हो तो हो सकता है कि एक निश्चित प्रश्न का निश्चित जवाब न हो । क्योंकि एक वैज्ञानिक से जब प्रश्न किया जाता है तो वह तुरंत उत्तर न देकर उसके उत्तर के लिए जूझता है। प्रश्न करने और उत्तर देने के बीच की जूझन में ही वैज्ञानिक चेतना उत्पन्न होती है। प्रोफेसर यशपाल कहते हैं कि बच्चे को हमेशा सिलेबस के बाहर का प्रश्न करना चाहिए और अध्यापक को उस प्रश्न से जूझना चाहिए।

वे कहते थे कि विज्ञान में कोई भी नई बात चाहे कितनी भी चमत्कारी क्यों न हो अंततः पूर्व ज्ञान पर ही टिकी रहती है। जटिल वैज्ञानिक समस्याओं में कुछ सामान्य बातें भी होती हैं । हालांकि हर वैज्ञानिक तथ्य अपने आप में अद्वितीय होता है।

प्रोफेसर यशपाल ने जीवन के प्रति आशा, इंसान की बुनियादी अच्छाई , प्रेम और सहिष्णुता गांधी और नेहरू से सीखी । वे बड़ों से ज्यादा बच्चों से अधिक बात करते थे। यह गुण गांधी-नेहरू युग के हरेक व्यक्ति में स्वभाविक तौर पर होता है। नेहरू में एक तरह का अधैर्य था लेकिन गांधी उसे भी मनुष्यता का हिस्सा ही मानते थे।

प्रोफेसर यशपाल का काम मुख्यतः कॉस्मिक किरणों पर था। इसलिए उनके सोचने और चिंतन करने का तरीका और जीवन को मापने का पैमाना भी कॉस्मिक मिजाज का ही था। उन्होंने अपनी पूरी ताकत वैज्ञानिक चेतना और वैज्ञानिक सम्वेदना के लिए समर्पित कर दीं। वे अद्भुत कल्पनाशील थे। वे कहते थे कि एक अच्छा वैज्ञानिक एक अच्छा कलाकार भी हो सकता है। अगर एक वैज्ञानिक में कला के प्रति संवेदना नहीं है तो उसकी वैज्ञानिकता पर भी संदेह होना चाहिए।

वे जिंदगीभर अंधविश्वास से लड़ते रहे। जब पूरा भारत मूर्तियों को दूध पिला रहा था तब उन्होंने TV पर इस घटना का स्पष्टीकरण दिया कि यह अंधविश्वास है दरअसल यह सरफेस टेंशन के कारण है और अनाद्र (Anhydrous) कैल्शियम क्लोराइड अवशोषक (Abosobent) होता है जो पानी व ढूध को सोख लेता है।

25 जुलाई 2017 को जब प्रोफेसर यशपाल जीवन की आख़िरी सांस ले रहे थे, जब उनके सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया तब भी शायद उनकी आंखों ने एक बार अनन्त अंतरिक्ष को दूर-दूर तक देखा होगा। उनके सुपर कम्प्यूटर दिमाग ने कल्पना की आखिरी छलांग लगाने की भरपूर कोशिश की होगी। एक अनन्त आशावादी वैज्ञानिक अपने शरीर के बाहर सोचता है। वह किसी भूखंड पर जन्म जरूर लेता है, लेकिन उसकी मृत्यु उसे आकाशगंगा का नागरिक बना देती है।प्रोफेसर यशपाल की पुण्यतिथि पर दिल से नमन

तेजस्वी जी ‘‘लिडर ऑफ कमिटमेंट’’ बन चुके हैं:राजद

Nationalist Bharat Bureau

राज्य में प्रस्वीकृत 2459 मदरसों को सशर्त मिलेगा अनुदान

Nationalist Bharat Bureau

सिपाही भर्ती अभ्यर्थियों को नीतीश सरकार का तोहफा! NCL और EWS सर्टिफिकेट की मांग स्वीकार

राज्य के उद्यमियों एवं व्यवसायियों के साथ केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने की बैठक

NEET 2022 Admit Card: ऐसे करें डाउनलोड, जानिए प्रक्रिया शुरू से

दिल्ली: सर्दी में बेघरों का सहारा रैन बसेरा

हर साल की तरह आज फिर से टॉपर बच्चों पर गर्व करने का दिन आया है

बिहार कर्मचारी चयन आयोग ने जारी किया द्वितीय इंटर स्तरीय संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा का संशोधित विज्ञापन

Nationalist Bharat Bureau

CTET Result 2023 Declared: सीबीएसई सीटेट रिजल्ट हुआ जारी, 6 लाख से अधिक पास

Nationalist Bharat Bureau

Bihar STET Result : STET 2024 का रिजल्ट जारी, 2 लाख 97 हजार 747 हुए सफल

Nationalist Bharat Bureau

Leave a Comment