कहते हैं कि जो बच्चा अपने माता-पिता की तकलीफों को समझता है, उसे सफलता हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसे बच्चों में एक लगन होती है, एक जिद होती है कि वे अपनी मेहनत से अपने मां-बाप की परेशानियों को दूर करें। आज हम आपको ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी बताएंगे, जो बिहार के औरंगाबाद जिले के छोटे से गांव शिवगंज के रहने वाले आदर्श कुमार की है। उनकी सफलता की कहानी इतनी दिल छूने वाली है कि इसे जानकर आपकी आंखों में आंसू आ सकते हैं। हाल ही में बीपीएससी द्वारा आयोजित 32वीं न्यायिक सेवा परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ, जिसमें आदर्श ने 120वां रैंक हासिल किया।
पिता का संघर्ष:
आदर्श के पिता, विजय साव, अपने गांव में एक छोटे से ठेले पर अंडे बेचकर अपने परिवार का पालन करते थे। उनके परिवार में सात लोग थे, और कमाने वाला केवल एक ही था। बावजूद इसके, विजय साव ने अपने बच्चों की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्हें कई बार कर्ज भी लेना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने कदम पीछे नहीं खींचे और अपने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया।
कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे, फिर भी हार नहीं मानी:
आदर्श की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह कोचिंग ले सकें, लेकिन उन्होंने कभी भी इस बारे में अपने घरवालों से शिकायत नहीं की। उन्होंने अपनी कठिनाइयों को समझा, लेकिन हार नहीं मानी। आदर्श ने घर पर रहकर ही यूट्यूब के माध्यम से पढ़ाई की और बीपीएससी की 32वीं न्यायिक सेवा परीक्षा को पास कर दिखाया। अपनी कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे गांव और जिले का नाम रोशन किया।
मां की भावुक प्रतिक्रिया:
मीडिया से बातचीत के दौरान आदर्श की मां बेहद भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि अपने पति के साथ मिलकर उन्होंने जीवनभर अपने बच्चों की खुशी के लिए संघर्ष किया और कई बार खुद के लिए समझौते भी किए। आज जब उनका बेटा इतनी बड़ी सफलता हासिल कर रहा है, तो उनके लिए इससे बड़ी खुशी और कुछ नहीं हो सकती। आदर्श की सफलता से न केवल उनके परिवार को गर्व है, बल्कि उनके पूरे गांव और जिले को भी उस पर नाज़ है।
प्रेरणा का स्रोत:
आदर्श की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो जीवन की कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे हैं। उनकी मेहनत और समर्पण ने यह साबित कर दिया कि अगर इंसान में संघर्ष की ताकत हो, तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।