Tirhut Graduate constituency byelection:तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में 5 दिसम्बर को उपचुनाव के लिए मतदान होगा, जिसमें कुल 18 प्रत्याशी भाग ले रहे हैं। इस उपचुनाव में 1.56 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। यह उपचुनाव जदयू के देवेश चन्द्र ठाकुर के लोकसभा चुनाव जीतने के कारण हो रहा है, और जदयू इस सीट पर फिर से अपनी पकड़ बनाना चाहती है। जदयू ने इस चुनाव में अभिषेक झा को अपना प्रत्याशी बनाया है, जो एनडीए गठबंधन के समर्थक हैं।
मुख्य मुकाबला जदयू के अभिषेक झा, राजद के गोपी किशन, और जन सुराज पार्टी के डॉ. विनायक गौतम के बीच माना जा रहा है। इनके अलावा, चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) से बागी होकर राकेश रौशन ने भी चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई है। शेष सभी प्रत्याशी निर्दलीय हैं, जिनमें अरविंद कुमार विभात, अरुण कुमार जैन, ऋषि कुमार अग्रवाल, एहतेशामुल हसन रहमानी, प्रणय कुमार, भूषण महतो, मनोज कुमार वत्स, राजेश कुमार रौशन, रिंकू कुमारी, वंशीधर व्रजवाशी, संजना भारती, संजय कुमार उर्फ संजय कुमार झा, संजीव भूषण और संजीव कुमार शामिल हैं।जमीन पर देखा जाए तो मुख्य टक्कर जदयू के अभिषेक झा, राजद के गोपी किशन, और जन सुराज के डॉ. विनायक गौतम के बीच होगी। हालांकि, लोजपा (रामविलास) से बागी होकर राकेश रौशन भी इस चुनाव को दिलचस्प बना रहे हैं, और उनके समर्थन से खेल का रूख बदल सकता है।जदयू को इस बार अभिषेक झा को लेकर विरोध का सामना करना पड़ा है, क्योंकि विरोधियों का आरोप है कि वह बाहरी हैं। इसके बावजूद, जदयू और एनडीए ने अभिषेक झा के प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। पिछले दो दशकों से जदयू इस सीट पर काबिज है, और पार्टी के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है। तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में एनडीए की इज्जत दांव पर है।

डॉ. विनायक गौतम की महत्वाकांक्षा:
डॉ. विनायक गौतम जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार हैं। पेशे से डॉक्टर और मुजफ्फरपुर के निवासी, डॉ. विनायक गौतम की राजनीतिक पृष्ठभूमि भी मजबूत है। उनके पिता राम कुमार सिंह तीन बार विधान परिषद के सदस्य रहे हैं, और उनकी माता डॉ. सुनीति पांडेय एमडीडीएम कॉलेज, मुजफ्फरपुर की प्रिंसिपल रही हैं। साथ ही, उनके नाना रघुनाथ पांडेय बिहार की राजनीति में एक बड़ा नाम थे। डॉ. गौतम का दावा है कि वे इस बार चुनाव जीतकर अपने पिता की तरह बिहार विधान परिषद में पहुंचेंगे।
गोपी किशन की उम्मीद:
राजद के गोपी किशन को इस चुनाव में जीत की उम्मीद है। पिछले चुनाव में राजद ने काफी कोशिश की थी, लेकिन जदयू से मुकाबला करने में वे बड़े अंतर से हार गए थे। इस बार राजद ने अपनी पूरी ताकत झोंकी है और उन्हें विश्वास है कि वे इस बार कड़ी टक्कर देंगे।
राकेश रौशन का प्रभाव:
चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) से बागी होकर राकेश रौशन ने चुनाव में कूदे हैं। राकेश रौशन, जो राजपूत जाति से आते हैं, पिछले कई वर्षों से इस क्षेत्र में सक्रिय हैं और राजपूत मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए जोर शोर से प्रयास कर रहे हैं। यदि राकेश रौशन को इस चुनाव में सफलता मिलती है, तो वे प्रमुख उम्मीदवारों के वोट बैंक को प्रभावित कर सकते हैं, और चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।
इस उपचुनाव में जदयू, राजद, जन सुराज और लोजपा (रामविलास) के बीच मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है, और यह चुनाव तिरहुत क्षेत्र की सियासत में महत्वपूर्ण मोड़ ले सकता है।

