पटना एम्स में नेत्र बैंक की शुरुआत हो गई है। यह नेत्र बैंक हैदराबाद के एलवीपीईआई के सहयोग से बनाया गया है और बिहार सरकार से मंजूरी मिल चुकी है। इस नेत्र बैंक में एक साथ 100 आंखों को सुरक्षित रखा जा सकता है। शुक्रवार को मुंगेर के एक 64 साल के व्यक्ति की मृत्यु के बाद उनके परिवार ने उनकी आंखें दान कीं। दान की गई आंखें 14 दिन तक सुरक्षित रखी जा सकती हैं।
नेत्रदान के लिए संपर्क नंबर
नेत्रदान या इससे जुड़े सवालों के लिए दो नंबर जारी किए गए हैं:
– मोबाइल: 8544423411
– लैंडलाइन: 0612-2821202
कॉर्नियल अंधापन में मददगार
एम्स पटना के कार्यकारी निदेशक प्रो. डॉ. सौरभ वार्ष्णेय ने बताया कि यह नेत्र बैंक कॉर्नियल अंधापन (आंख की पुतली का सफेद होना) से पीड़ित लोगों के लिए बहुत मददगार होगा। नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. अमित राज ने कहा कि 1 से 90 साल तक के लोगों की आंखें, जरूरी प्रक्रिया पूरी करने के बाद, प्रत्यारोपण के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं।
कैसे काम करता है नेत्र बैंक?
नेत्र बैंक में एक खास कमरा बनाया गया है, जहां तीन टेक्नीशियन काम करते हैं। अगर कोई परिवार अपने किसी मृत परिजन की आंखें दान करना चाहता है, तो वे पटना एम्स से संपर्क कर सकते हैं। दान की गई आंखों को प्रत्यारोपण के लिए सुरक्षित रखा जाता है।

किनका हो सकता है प्रत्यारोपण?
डॉ. अमित राज ने बताया कि जन्मजात अंधेपन का इलाज प्रत्यारोपण से नहीं हो सकता। लेकिन जिनकी आंखों की कॉर्निया (पुतली) किसी बीमारी या अन्य कारण से सफेद हो गई हो, उनका प्रत्यारोपण संभव है। पटना एम्स में प्रत्यारोपण के लिए मरीजों की लंबी वेटिंग लिस्ट है।
मुंगेर के व्यक्ति का नेत्रदान
हाल ही में मुंगेर के एक 64 साल के व्यक्ति, जो पेट की बीमारी से पीड़ित थे, की मृत्यु एम्स में हुई। उनके परिवार ने उनकी आंखें दान कीं, जिन्हें नेत्र बैंक में सुरक्षित रखा गया है। डॉ. अमित राज ने बताया कि इन आंखों का इस्तेमाल जरूरतमंद मरीजों, जैसे कॉर्निया की बीमारी से पीड़ित एक साल के बच्चे, के लिए भी किया जा सकता है।
नेत्रदान की अपील
डॉ. अमित राज ने लोगों से अपील की कि वे नेत्रदान के लिए आगे आएं। नेत्रदाता के परिवार को प्रशंसा प्रमाण पत्र दिया जाता है। यह सेवा जरूरतमंद लोगों की जिंदगी में रोशनी ला सकती है।

