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राजनीति

अब अन्याय नहीं, अब हिस्सेदारी चाहिए:निशिकांत सिन्हा

कुशवाहा समाज और 90% शोषित-वंचित जन की हुंकार बनेगी जन आशीर्वाद हक-हुंकार रैली,जन आशीर्वाद संवाद कॉन्फ्रेंस में निशिकांत सिन्हा ने हुंकार भरी

 

पटना: बिहार के शोषित वंचित अल्पसंख्यक और समाज के निचले तबके के हक और होक़ुक़ की बात करने के लिए पिछले 9 महीने से बिहार की खाक छान रहे वरिष्ठ समाज सेवी निशिकांत सिन्हा ने रविवार को पटना के होटल मौर्या में जन आशीर्वाद संवाद कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार की माटी ने सदियों से सामाजिक अन्याय, सामंतवाद और राजनीतिक सौदेबाज़ी को झेला है। हर बार कुर्सियाँ बंटी, लेकिन कुशवाहा समाज और 90% शोषित-वंचित जनसमूह को केवल वादों का लॉलीपॉप मिला- हिस्सेदारी नहीं।अबतक कुशवाहा समाज को सत्ता की सीढ़ी बनाकर हरबार कचरे में फेंका जाता रहा है। अब यह दौर बदलेगा। इस बार हम इस्तेमाल नहीं होंगे -इस बार हिसाब होगा। समाज जग चुका है अब हर 90% आबादी अपने अनुपात में सत्ता की हिस्सेदारी लेगा। अब यूज एण्ड थ्रो नहीं होगा। “मैं, निशिकांत सिन्हा, यह स्पष्ट करता हूँ कि 24 जून 2025 को बापू सभागार, सम्म्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर, पटना में आयोजित होने वाली जन आशीर्वाद हक़-हुंकार रैली महज़ एक आयोजन नहीं यह एक सामाजिक जागरण, राजनीतिक चेतना, और आत्मसम्मान की महाक्रांति का शंखनाद होगा ।”

 

निशिकांत सिन्हा ने कहा कि सम्राट अशोक के वंशजों और बाबू जगदेव प्रसाद जी के जन आदर्शों को दरकिनार कर सत्ता को बंधुआ बनाए रखने वाले हर तंत्र को इस हक-हुंकार रैली से सीधा जवाब मिलेगा। यह रैली हमारी सामूहिक शक्ति का प्रतीक बनेगी, जहाँ से नया बिहार का उदय होगा, और व्यवस्था बदलेगी, पलायन रुकेगा, गाँव-गाँव में औद्योगिक विकास होगा, खेती को औद्योगिक दर्जा मिलेगा।

 

 

निशिकांत सिन्हा ने कहा कि हमारा नया बिहार कुछ ऐसा होगा, जहाँ शिक्षा और रोजगार हर दरवाज़े तक पहुँचेगा।स्वास्थ्य किसी विशेषाधिकार का मोहताज नहीं होगा।बिहार के युवा नौकरी मांगने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनेंगे।महिला सुरक्षा सिर्फ एक नारा नहीं, नीति का आधार बनेगा।किसान और श्रमिक की गरिमा सर्वोपरि होगा।पुलिस-अपराधी गठजोड़ को खत्म कर कानून व्यवस्था नियंत्रित किया जाएगा और नेतृत्व उन हाथों में होगी, जो सदियों से वंचित रहें हैं, जन प्रतिनिधि जनता के बीच से ही चुनकर आएगा और उनका सरकारी आवास उनके कार्यक्षेत्र में ही रहेगा।

 

निशिकांत सिन्हा ने कहा कि “जिस समाज में संख्याबल है, श्रम है, प्रतिभा है और संकल्प है उस समाज को नेतृत्व से वंचित रखना अन्याय है। अब अन्याय नहीं, अब हिस्सेदारी चाहिए। मैं, निशिकांत सिन्हा, सभी बुद्धिजीवियों, किसानों, युवाओं, महिलाओं, छात्रों, रोज़गार चाहने वालों, और विशेषकर कुशवाहा समाज सहित समाज के उन 90% आबादी का आह्वान करता है जो सत्ता से वंचित, पीड़ित-शोषित रहे हैं, वे भारी से भारी संख्या में 24 जून को पटना पहुँचे।”

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