पटना: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की नेत्री सारीका पासवान और भूमिहार ब्राह्मण एकता फाउंडेशन के नेता आशुतोष कुमार के बीच चल रहा विवाद उस समय और गहरा गया जब सारीका पासवान ने सोशल मीडिया पर एक और तीखा बयान जारी किया। उनके इस बयान ने बिहार के सियासी माहौल में आग में घी डालने का काम किया है। सारीका पासवान ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा:
भारत की मैं नारी हूं।फूल नहीं चिंगारी हूं।।
अबला महिला करे पुकार।अब ना सहेंगे अत्याचार।।

दरअसल सारीका पासवान और आशुतोष कुमार के बीच पहले से ही तीखी बयानबाजी चल रही थी। सूत्रों के अनुसार, यह विवाद तब शुरू हुआ जब सारीका पासवान ने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर कुछ विवादित टिप्पणियां की थीं, जिनका आशुतोष कुमार ने कड़ा विरोध किया। इसके जवाब में सारीका पासवान का यह ताजा सोशल मीडिया पोस्ट न केवल उनके समर्थकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि विपक्षी नेताओं और सामाजिक संगठनों ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
सारीका पासवान के इस पोस्ट को कई लोग नारी सशक्तीकरण और अत्याचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश के रूप में देख रहे हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि यह बयान महिलाओं के अधिकारों और सम्मान की लड़ाई को दर्शाता है। वहीं, आलोचकों का मानना है कि यह पोस्ट सामाजिक तनाव को और बढ़ाने का काम कर सकती है, खासकर तब जब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक हैं।
सारीका पासवान के इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है। कुछ यूजर्स ने उनके बयान को साहसी और प्रेरणादायक बताया, तो कुछ ने इसे “विवाद को हवा देने वाला” करार दिया। एक यूजर ने लिखा, “सारीका जी का यह बयान हर उस महिला की आवाज है जो अत्याचार के खिलाफ खड़ी होना चाहती है।” वहीं, एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की, “यह बयान सामाजिक एकता को कमजोर कर सकता है। नेताओं को ऐसी बयानबाजी से बचना चाहिए।”
इस पूरे विवाद पर राजद की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इस मामले को व्यक्तिगत बयान बताकर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद राजद के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है, खासकर तब जब बिहार में सियासी समीकरण पहले से ही जटिल हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं, और इस तरह के विवादों से सियासी माहौल और गर्म होने की संभावना है। सारीका पासवान का यह बयान न केवल सामाजिक संगठनों बल्कि अन्य राजनीतिक दलों के लिए भी चर्चा का विषय बन गया है। यह देखना बाकी है कि इस विवाद का असर राजद की चुनावी रणनीति और सारीका पासवान की छवि पर किस तरह पड़ता है।

