बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनज़र असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने अपनी पहली उम्मीदवार सूची जारी कर दी है। पार्टी ने कुल 32 उम्मीदवारों के नामों का एलान किया है, जिससे यह साफ हो गया है कि AIMIM इस बार भी राज्य में सक्रिय भूमिका निभाने के मूड में है। ओवैसी की पार्टी ने खास तौर पर सीमांचल, मिथिलांचल और मगध के कुछ मुस्लिम बहुल इलाकों पर फोकस किया है, जहाँ पिछले चुनाव में उसे अच्छा जनसमर्थन मिला था। 2020 के चुनाव में AIMIM ने पांच सीटें जीतकर सभी को चौंकाया था, और इस बार पार्टी का मकसद उस प्रदर्शन को और आगे बढ़ाना है।
AIMIM की जारी की गई सूची में युवाओं और नए चेहरों को तरजीह दी गई है। पार्टी ने इस बार स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षकों और समुदाय के सक्रिय लोगों को टिकट देकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह “जनता की पार्टी” के रूप में अपनी छवि मजबूत करना चाहती है। बताया जा रहा है कि पार्टी ने अपने उम्मीदवारों का चयन क्षेत्रीय समीकरणों और पिछली बार के वोट प्रतिशत को ध्यान में रखकर किया है। वहीं, ओवैसी ने उम्मीदवारों की घोषणा करते हुए कहा कि “बिहार में असली विपक्ष बनने की जिम्मेदारी AIMIM निभाएगी।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ने अल्पसंख्यक समुदाय की आवाज़ को दरकिनार किया है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि AIMIM की एंट्री से बिहार के कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। खासकर सीमांचल क्षेत्र — किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जैसी सीटों पर AIMIM के आने से RJD और कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक पर असर पड़ सकता है। दूसरी ओर, एनडीए भी इसे अपने लिए “अवसर” के रूप में देख रहा है, क्योंकि मुस्लिम वोटों का विभाजन उसकी रणनीति को फायदा पहुँचा सकता है। हालांकि, AIMIM का कहना है कि उसका उद्देश्य वोट काटना नहीं, बल्कि हाशिये पर खड़े तबकों की आवाज़ बनना है। आने वाले दिनों में पार्टी की दूसरी सूची जारी होने की संभावना है, जिससे यह स्पष्ट होगा कि AIMIM इस बार कितनी सीटों पर दमखम दिखाने की तैयारी में है।