बिहार में बढ़ते अपराधों ने एक बार फिर कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। गृह मंत्री पद संभालते ही सम्राट चौधरी ने दावा किया था कि अब राज्य में ‘यूपी मॉडल’ की तरह सख्त कार्रवाई होगी और अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन उनके राज के शुरुआती 10 दिनों में ही हत्या की 45 घटनाएं सामने आने से विपक्ष ही नहीं, आम जनता भी सवाल उठा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 20 नवंबर से 29 नवंबर के बीच प्रदेश में हत्या की 42 से अधिक वारदातें दर्ज की गईं।
इन अपराधों में कई जघन्य मामले शामिल हैं जिन्होंने पूरे बिहार को झकझोर कर रख दिया है। दरभंगा में सिर काटकर हत्या, गया में प्रेम प्रसंग को लेकर युवक की हत्या, सीवान में युवती का अर्धनग्न शव मिलना, पटना में प्रॉपर्टी विवाद में कारोबारी की दिनदहाड़े गोलीबारी जैसी घटनाओं ने कानून-व्यवस्था की कमजोरी उजागर की है। कई मामलों में पुलिस की तत्परता दिखाई दी, जबकि कुछ घटनाओं में लापरवाही के आरोप भी सामने आए, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश बढ़ा है।
बढ़ते अपराधों के बीच अब सभी की नजरें गृह मंत्री सम्राट चौधरी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिकी हैं। सीएम ने 20 वर्षों में पहली बार गृह विभाग अपने सहयोगी को सौंपा है, ऐसे में बीजेपी के लिए यह बड़ी जिम्मेदारी है कि सुशासन की छवि को बनाए रखा जाए। अब देखना होगा कि बढ़ते अपराध पर रोक लगाने के लिए गृह मंत्री क्या ठोस कदम उठाते हैं और क्या वाकई ‘यूपी मॉडल’ बिहार में लागू हो पाएगा।

