भारतीय हॉकी के पूर्व डिफेंडर और टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता बीरेंद्र लाकड़ा इन दिनों अपने नए सफर में व्यस्त हैं। भारतीय जूनियर पुरुष टीम के सहायक कोच बने लाकड़ा का कहना है कि कोचिंग की जिम्मेदारियां खिलाड़ी के तौर पर खेलने से कहीं अधिक कठिन हैं। चेन्नई और मदुरै में चल रहे एफआईएच जूनियर विश्व कप में वह मुख्य कोच पीआर श्रीजेश के साथ मिलकर युवा टीम को दिशा दे रहे हैं।
35 वर्षीय लाकड़ा मई 2024 में जूनियर कोचिंग स्टाफ से जुड़े थे और टीम रणनीति तय करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि खिलाड़ी और कोच की भूमिका में काफी अंतर है, क्योंकि कोच को रणनीति बनाना, टीम प्रबंधन, खिलाड़ियों को प्रेरित करना और दबाव में सही निर्णय लेना होता है। उन्होंने बताया कि वह जल्द ही एफआईएच कोचिंग कोर्स भी पूरा करेंगे ताकि अपने कौशल को और निखार सकें।
मैचों के दौरान लाकड़ा डगआउट से खिलाड़ियों से संवाद करते हैं, जबकि शीर्ष कोच श्रीजेश ऊपर से खेल को विश्लेषित करते हुए रणनीतिक सुझाव देते हैं। दोनों की 10–12 वर्षों की साझेदारी मैदान के अंदर की तरह ही कोचिंग में भी बेहतरीन तालमेल दिखाती है। लाकड़ा का मानना है कि जूनियर स्तर पर खिलाड़ियों के विकास के लिए कोच को अनुशासन और उचित दूरी बनाए रखना जरूरी है।

