सोमवार को शुरुआती विदेशी मुद्रा कारोबार के दौरान भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले सीमित दायरे में कारोबार करता हुआ दिखाई दिया। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में मजबूती और विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी से रुपये पर दबाव बना रहा, जिससे घरेलू शेयर बाजारों में दिख रही सकारात्मक तेजी का प्रभाव सीमित हो गया।
फॉरेक्स कारोबारियों के अनुसार, आयातकों द्वारा डॉलर की बढ़ती मांग ने स्थानीय मुद्रा की कमजोरी को और बढ़ाया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के ऊंचे दाम के कारण डॉलर की आवश्यकता बढ़ी है, जिसका सीधा असर भारतीय मुद्रा पर पड़ रहा है। वहीं, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की हालिया बिकवाली ने भी रुपये की गति को थामे रखा है।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल रुपये की चाल वैश्विक संकेतों, डॉलर इंडेक्स की मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों पर निर्भर करेगी। घरेलू इक्विटी बाजारों में मजबूती के बावजूद बाहरी दबावों ने रुपये को सीमित दायरे में बांध रखा है। आने वाले सत्रों में अमेरिकी आर्थिक आंकड़े और वैश्विक रुझान मुद्रा बाजार की दिशा तय कर सकते हैं।

