उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को वोडाफोन आइडिया को बड़ी राहत देते हुए स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार कंपनी के सभी एजीआर बकायों पर पुनर्विचार कर सकती है। अदालत ने कहा कि यह राहत सिर्फ वित्त वर्ष 2016-17 के अतिरिक्त एजीआर पर सीमित नहीं है, बल्कि कंपनी की अपील में सभी एजीआर देनदारियों के पुनर्मूल्यांकन की मांग शामिल थी। इससे सरकार को वोडाफोन आइडिया की करोड़ों रुपये की देनदारी को दोबारा देखने का पूरा अधिकार मिल गया है।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने 27 अक्टूबर के आदेश में हुई त्रुटि को ठीक करते हुए कहा कि पहले यह गलत दर्ज हुआ था कि कंपनी ने केवल अतिरिक्त एजीआर देनदारी पर राहत मांगी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कंपनी की याचिका में सभी बकायों का पुनर्मिलान और पुनर्विचार शामिल है। सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने भी कहा कि वोडाफोन आइडिया में 49% हिस्सेदारी और 20 करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं के हितों को देखते हुए सरकार पुनर्विचार करने के लिए तैयार है।
वोडाफोन आइडिया पर अतिरिक्त एजीआर बकाया लगभग 9,450 करोड़ रुपये है, जबकि कुल एजीआर मांग मार्च 2025 तक 83,500 करोड़ रुपये से अधिक है। एजीआर विवाद दो दशक से चला आ रहा है और 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दूरसंचार कंपनियों पर भारी बकाये दर्ज हुए थे। अब इस नए स्पष्टीकरण के बाद कंपनी की वित्तीय राहत की संभावना बढ़ गई है, जिससे उसके संचालन और निवेशकों पर सकारात्मक असर पड़ सकता है।

