NEW DELHI:हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने इस बार सभी को चौंका दिया। कांग्रेस अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त थी। एग्जिट पोल्स और राजनीतिक बयानों से यही संकेत मिल रहे थे कि इस बार भाजपा कमजोर है। कांग्रेस के भीतर यह चर्चा भी होने लगी थी कि अगर 65 से ज्यादा सीटें आती हैं, तो मुख्यमंत्री पद की कमान किसे सौंपी जाएगी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला, तीनों ही इस पद के दावेदार थे। कांग्रेस ने बेरोजगारी, किसानों और पहलवानों की नाराजगी जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठाया था। इसके बावजूद, भाजपा ने कांग्रेस को पछाड़ते हुए जीत हासिल कर ली। यह कुछ वैसा ही था जैसे कुश्ती के ‘बगलडूब’ दांव में एक पहलवान सामने वाले की पकड़ से निकलकर उसे हरा देता है।
यहां तक कि भाजपा के आंतरिक सर्वेक्षण में भी सिर्फ 35 से 38 सीटों का अनुमान था। इसके बाद भाजपा ने उन 18 सीटों पर ध्यान केंद्रित किया, जहां मुकाबला बहुकोणीय था। साथ ही, 39 सीटों पर भी भाजपा ने जोर लगाया, जहां उसका सीधा मुकाबला कांग्रेस से था। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पहले ही संकेत दे दिए थे कि जरूरत पड़ने पर गठबंधन का विकल्प खुला है। इस बार 67.90 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 2019 के चुनाव में 67.92 प्रतिशत से थोड़ा कम था। यह हरियाणा के चुनावी इतिहास में चौथा मौका था जब सबसे कम मतदान हुआ, जिसे सत्ता विरोधी लहर से जोड़ा गया, क्योंकि भाजपा यहां 10 साल से सत्ता में थी।
किसी भी एग्जिट पोल ने भाजपा को बहुमत मिलने का अनुमान नहीं लगाया था। अधिकांश एग्जिट पोल्स ने कांग्रेस की वापसी के संकेत दिए थे। मंगलवार सुबह के शुरुआती रुझानों में भी 100 मिनट तक कांग्रेस आगे रही, लेकिन इसके बाद भाजपा ने बढ़त बना ली और दोपहर 12 बजे तक कांग्रेस 40 सीटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई। हरियाणा के चुनावी इतिहास में इससे पहले किसी दल ने लगातार तीन बार सरकार नहीं बनाई थी। इस बार भाजपा ने रिकॉर्ड कायम किया, 2014 और 2019 के बाद 2024 में भी जीत दर्ज करते हुए सरकार बनाने की स्थिति में आ गई।
दुष्यंत चौटाला की जजपा ने 2019 में 14.9 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, जिसे जाट समुदाय का समर्थन माना गया था। इस बार माना जा रहा है कि जजपा के ज्यादातर वोट कांग्रेस और कुछ इनेलो में शिफ्ट हो गए। कांग्रेस को इस बार 40 प्रतिशत मत मिले, जबकि पिछली बार यह आंकड़ा 28.2 प्रतिशत था। जजपा इस बार केवल 1 प्रतिशत वोट हासिल करती दिखी, जबकि भाजपा को 39 प्रतिशत मत मिले। इसके बावजूद भाजपा कांग्रेस से ज्यादा सीटें जीतने में सफल रही।
हरियाणा की राजनीति में मार्च में बड़ा बदलाव तब आया जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस्तीफा दे दिया और नायब सिंह सैनी को विधायक दल का नेता चुनकर मुख्यमंत्री बनाया गया। सैनी के नेतृत्व में भाजपा ने पंजाबी और पिछड़ा वर्ग के वोट बैंक पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली, जबकि खट्टर को केंद्र में भेज दिया गया।
चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी सहारा लिया। योगी आदित्यनाथ ने 14 रैलियों में 20 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया, जिनमें से 14 सीटों पर भाजपा की जीत होती दिख रही है।
चुनाव के दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पत्र का जवाब देते हुए कहा था कि कांग्रेस के नेताओं ने पिछले 10 सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 110 से अधिक बार अपमानित किया है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसमें कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी शामिल है।

