मोतिहारी/पटना: बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के एक सरकारी स्कूल में चौथी कक्षा के बच्चों को हिंदी पढ़ाते समय एक महिला शिक्षिका ने मुहावरों के अर्थ समझाने के लिए शराब से जुड़े उदाहरणों का उपयोग किया, जिससे शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। यह घटना जमुआ मध्य विद्यालय, ढाका प्रखंड की है, जहां शिक्षिका विनीता कुमारी ने ब्लैकबोर्ड पर ‘हाथ-पैर फूलना’ का अर्थ ‘समय पर दारू का न मिलना’, ‘कलेजा ठंडा होना’ का अर्थ ‘एक पैग गले से नीचे उतारना’, और ‘नेकी कर दरिया में डाल’ का अर्थ ‘फ्री में दोस्तों को पिलाना’ लिखकर समझाया। इन उदाहरणों की तस्वीरें वायरल होते ही मामला तूल पकड़ गया।
शिक्षिका के इस ‘ज्ञान’ से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। ढाका प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अखिलेश कुमार ने तुरंत मामले का संज्ञान लिया और स्वीकार किया कि ब्लैकबोर्ड पर शराब से जुड़े उदाहरणों का उपयोग हुआ था। विनीता कुमारी ने फोन पर माफी मांगी है, लेकिन शिक्षा विभाग ने उनसे लिखित स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने विनीता से उनके शैक्षणिक प्रमाण पत्र और इस बात की जानकारी मांगी है कि वह स्कूल में आमतौर पर क्या पढ़ाती हैं।
स्कूल की प्रधानाध्यापिका सुलेखा झा ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त किया है। जिला शिक्षा पदाधिकारी संजीव कुमार ने कहा कि इस मामले में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी और विनीता कुमारी से सभी शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के साथ स्पष्टीकरण की मांग की गई है। मीडिया ने विनीता कुमारी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई। यह घटना बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है, जहां सरकार शिक्षा के स्तर को सुधारने के प्रयासों का दावा करती है, वहीं सरकारी स्कूलों में इस प्रकार की घटनाएं सामने आ रही हैं।
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स्कूल की प्रधानाध्यापिका सुलेखा झा ने भी इस घटना पर दुख जताया है। उन्होंने स्वीकार किया कि चौथी कक्षा के बच्चों को शराब से जुड़े उदाहरण देकर पढ़ाया गया था। जिला शिक्षा पदाधिकारी संजीव कुमार ने भी इस मामले में कार्रवाई की बात कही है। उन्होंने कहा कि विनीता कुमारी नाम की शिक्षिका के द्वारा यह पाठ पढ़ाया गया है। उनसे सभी शैक्षणिक एवं अन्य प्रमाण पत्र के साथ स्पष्टीकरण की मांग की गई है।मीडिया ने आरोपी शिक्षिका विनीता कुमारी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई। ये घटना बिहार में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े करती है। जहां एक तरफ सरकार शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए तमाम दावे करती है, वहीं दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों में इस तरह की घटनाएं देखने को मिलती हैं।

