PATNA:बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए अपनी पुरानी जड़ों की ओर रुख किया है। पार्टी अपने पूर्व नेताओं से संपर्क साध रही है, ताकि वे संगठन को फिर से मजबूत करने में मदद कर सकें। नीतीश कुमार ने इस जिम्मेदारी को हाल ही में जदयू में शामिल हुए करीबी सहयोगी मनीष कुमार वर्मा को सौंपा है।
मीडिया से बातचीत में मनीष वर्मा ने कहा, “जदयू की स्थापना 1994 में बिहार में एक नए विकल्प के रूप में समता पार्टी से हुई थी। उस समय बिहार सामाजिक बदलाव के चरम पर था, लेकिन राज्य अराजकता, भ्रष्टाचार और कुशासन से जूझ रहा था। हम उस दौर के आंदोलन से जुड़े नेताओं का सम्मान करने और उन्हें दोबारा जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।”
गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने दिवंगत नेता जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर समता पार्टी की सह-स्थापना की थी। उस समय दोनों नेता तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद से असंतुष्ट थे, जो तेजी से जनता दल के प्रमुख नेता के रूप में उभर रहे थे। लगभग एक दशक बाद समता पार्टी का जनता दल (यूनाइटेड) में विलय हुआ, जो शरद यादव नीत जनता दल से अलग हुआ एक समूह था। 2005 में जदयू ने भाजपा के साथ गठबंधन कर बिहार विधानसभा चुनाव जीता और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने।
वर्मा ने बताया, “मैं राज्यभर में दौरे कर उन नेताओं को सम्मानित करने का प्रयास कर रहा हूं, जिन्होंने समता पार्टी में शामिल होकर बिना किसी स्वार्थ के बदलाव लाने का लक्ष्य रखा था। उस समय हम सत्ता से बहुत दूर थे। आज जब हमारे नेता सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं, तो उन लोगों का योगदान मान्यता के योग्य है, जिन्होंने अपने खून, पसीने और आंसुओं से यह संभव बनाया।” उन्होंने आगे कहा कि जदयू की इस पहल से वरिष्ठ नेता अभिभूत हैं और 2025 में पार्टी का समर्थन करने का आश्वासन दिया है।
गौरतलब है कि मनीष वर्मा इस साल की शुरुआत में जदयू में शामिल हुए थे और कुछ ही हफ्तों के भीतर उन्हें राष्ट्रीय महासचिव का पद सौंपा गया। वर्मा वर्तमान में कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए बैठकें कर रहे हैं और पार्टी लोगों से सरकार और उनकी उम्मीदों के बारे में राय ले रही है।

