Bihar News: सहरसा जिले के नवहट्टा नगर पंचायत की स्थिति विकास के सरकारी दावों की पोल खोलती नजर आती है। यहां के हजारों लोग आज भी बांस और बल्ली से बने जर्जर चचरी पुल के सहारे जीवन काटने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बावजूद बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलीं। 1984 में आई भीषण बाढ़ ने इस मार्ग को तबाह कर दिया था, जिसके बाद से आज तक पक्का पुल निर्माण का काम शुरू नहीं हुआ। यह रास्ता सहरसा और सुपौल जिलों को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है।
चौंकाने वाली बात यह है कि यह चचरी पुल किसी सरकारी योजना के तहत नहीं, बल्कि चंदा और श्रमदान से बनाया गया था। ग्रामीणों के अनुसार, मौजूदा आरजेडी विधायक डॉ. गौतम कृष्ण, जब 2014 में BDO थे, उसी दौरान ग्रामीणों की मांग पर उन्होंने सामूहिक सहयोग से यह पुल बनवाया था। पिछले कई वर्षों से लोग इसकी मरम्मत कर-करके किसी तरह आवागमन कर रहे हैं। ग्रामीण आरोप लगाते हैं कि पूर्व विधायक गुंजेश्वर साह के 10 साल के कार्यकाल में केवल आश्वासन मिले, काम नहीं हुआ।
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि यह जुगाड़ी पुल कई हादसों का गवाह बन चुका है। ग्रामीण बताते हैं कि अब तक 8 से 9 लोगों की मौत इस पुल से गिरकर हो चुकी है। बारिश और अंधेरे में यह पुल बेहद खतरनाक हो जाता है। महिलाओं और बुजुर्गों का कहना है कि बच्चों को स्कूल भेजना भी जोखिम भरा है। अब सबकी नजर मौजूदा विधायक पर है कि क्या वे इस बार पक्का पुल बनवाने की दिशा में ठोस कदम उठाते हैं या नहीं।

