लखीसराय में उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा के आगमन के दौरान वायरल हुए हर्ष फायरिंग वीडियो की सच्चाई पुलिस जांच में सामने आ गई है। सोशल मीडिया पर दावा किया गया था कि उनके समर्थकों द्वारा रैली में असली राइफल से फायरिंग की गई, जिसके बाद कई तरह की आलोचनाएं शुरू हो गईं। लेकिन जांच में पता चला कि मामला पूरी तरह भ्रामक था और हर्ष फायरिंग के नाम पर फैलाई गई अफवाह के जरिए उपमुख्यमंत्री की छवि खराब करने की कोशिश की गई।
एसपी अजय कुमार ने बताया कि वायरल वीडियो में दिख रहे उपकरण को जब्त कर आर्मरर से जांच कराई गई। जांच में यह पुष्टि हुई कि वह असली राइफल नहीं, बल्कि पटाखा चलाने वाला चिड़ीमार बंदूक जैसा परंपरागत उपकरण है, जिसका उपयोग शादियों, उत्सवों और ग्रामीण इलाकों में नीलगाय एवं सूअर जैसी फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों को भगाने में किया जाता है। इससे किसी भी प्रकार का जान-माल का खतरा नहीं होता। पुलिस ने फायरिंग कर रहे दोनों युवकों को पूछताछ के बाद सत्यापन के आधार पर बॉन्ड में छोड़ दिया।
स्थानीय लोगों ने भी पुलिस के निष्कर्ष की पुष्टि करते हुए बताया कि चिड़ीमार बंदूक से केवल बारूद वाला पटाखा चलता है, जिसमें कोई गोली नहीं होती। एसपी ने अपील की है कि सोशल मीडिया पर किसी भी वीडियो या दावे को साझा करने से पहले उसकी सत्यता की जांच अवश्य करें, ताकि अफवाहों और गलत सूचनाओं के प्रसार को रोका जा सके। पुलिस ने स्पष्ट किया कि घटना को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की साजिश का प्रयास किया गया था।

