वीर सावरकर पुरस्कार को लेकर राजनीतिक विवाद और गहरा गया है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस सम्मान को लेने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि आयोजकों ने उनकी सहमति के बिना उनका नाम घोषित कर “गैर-जिम्मेदाराना हरकत” की है। दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत के दौरान थरूर ने कहा कि उन्हें इस पुरस्कार के बारे में मंगलवार को ही जानकारी मिली और वे न तो समारोह में शामिल होंगे, न ही ऐसा कोई पुरस्कार स्वीकार करेंगे जो वी.डी. सावरकर के नाम पर आधारित हो।
हालांकि पुरस्कार देने वाली संस्था हाई रेंज रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी (एचआरडीएस) इंडिया ने थरूर के दावों का खंडन किया है। संस्था के सचिव अजी कृष्णन ने कहा कि एचआरडीएस की टीम और जूरी अध्यक्ष स्वयं थरूर से उनके आवास पर मुलाकात कर निमंत्रण दे चुके थे। कृष्णन के अनुसार, थरूर ने अन्य पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं की सूची भी मांगी थी और उन्हें दी गई थी। संस्था का कहना है कि सांसद ने कार्यक्रम में न आने की जानकारी अब तक नहीं दी थी, और शायद राजनीतिक दबाव के कारण पीछे हट रहे हैं।
मामला राजनीतिक रंग लेते हुए कांग्रेस के भीतर भी चर्चा का विषय बन गया है। पार्टी नेता के. मुरलीधरन ने कहा कि किसी भी कांग्रेस नेता—चाहे वह शशि थरूर ही क्यों न हों—को सावरकर के नाम पर दिया जाने वाला कोई पुरस्कार स्वीकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करना पार्टी के लिए “अपमानजनक” होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि थरूर इस सम्मान को नहीं लेंगे। वहीं थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा कि जब तक पुरस्कार और संस्था से जुड़े तथ्यों पर स्पष्टता नहीं मिलती, उनकी उपस्थिति का सवाल ही नहीं उठता।

