Nationalist Bharat
विविध

जब कभी हालात बुरे देख कर निराश होने लगें तो यह कहानी पढ़ लेना 

6 साल पहले, मेरा सबसे बड़ा बेटा घर से गायब हो गया, वह हमेशा की तरह काम पर निकला लेकिन कभी वापस नहीं लौटा। एक हफ्ते बाद, लोगों को उसकी लाश एक ऑटो में मिली. वो सिर्फ 40 साल का था। उसके साथ मेरा एक हिस्सा मर गया, लेकिन जिम्मेदारियों के बोझ ने मुझे सही से दुःख मनाने का समय भी नहीं दिया – अगले ही दिन, मैं सड़क पर था. अपना ऑटो चला रहा था।लेकिन 2 साल बाद, दुःख ने फिर से मेरा दरवाज़ा खटखटाया -मैंने अपने दूसरे बेटे को भी खो दिया। गाड़ी चलाते समय, मुझे एक कॉल आई- “आपके बेटे की लाश प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर मिली है. उसने आत्महत्या कर ली है।मेरी बहू और उनके 4 बच्चों की ज़िम्मेदारी ने मुझे जिन्दा रखा। दाह संस्कार के बाद, मेरी पोती, जो 9 वीं कक्षा में थी. उसने पूछा, “दादाजी, क्या अब मेरा स्कूल छूट जायेगा?” ’मैंने अपनी सारी हिम्मत जुटाई और उससे कहा, “कभी नहीं! तुम् जितनी चाहो उतनी पढाई करना”।

 

 

मैं पहले से ज़्यादा समय तक ऑटो चलाने लगा. मैं सुबह 6 बजे घर से निकलता और आधी रात तक अपना ऑटो चलाता। इतना करने के बाद भी मैं हर महीने बस दस हज़ार रुपये कमा पाता. उनके स्कूल की फीस और स्टेशनरी पर 6000 खर्च करने के बाद, मुझे 7 लोगों के परिवार को खिलाने के लिए मुश्किल से 4000 ही बचते.अधिकांश दिनों में, हमारे पास खाने के लिए मुश्किल से ही कुछ होता है। एक बार, जब मेरी पत्नी बीमार हो गई, तो मुझे उसकी दवाएँ खरीदने के लिए घर-घर जाकर भीख माँगनी पड़ी।लेकिन पिछले साल जब मेरी पोती ने मुझे बताया कि उसकी 12 वीं बोर्ड में 80% अंक आए हैं, तो मुझे लगा मैं अपना ऑटो आसमान में उड़ा रहा हूँ. मैंने पूरे दिन, मैंने अपने सभी कस्टमर को मुफ्त सवारी दी! पोती ने मुझसे कहा,’दादाजी, मैं दिल्ली में बी.एड कोर्स करना चाहती हूँ।’उसे दूसरे शहर में पढ़ाना मेरी औकात से बाहर था, लेकिन मुझे किसी भी कीमत पर उसके सपने पूरे करने थे इसलिए, मैंने अपना घर बेच दिया और उसकी फीस चुकाई। फिर, मैंने अपनी पत्नी, बहू और अन्य पोतों को हमारे गाँव में अपने रिश्तेदारों के घर भेज दिया, और मैं मुंबई में बिना छत के रहने लगा.

 

 

अब एक साल हो गया है और सही कहूँ तो ज़िन्दगी से कोई शिकायत नहीं है. अब ऑटो ही मेरा घर है. मैं अपने ऑटो में ही खाता और सोता हूं और दिनभर लोगों को उनकी मंजिल तक ले जाता हूँ। बस कभी कभी दिन भर ऑटो चलाते हुए पैरों में दर्द होता है लेकिन जब मेरी पोती फोन करके कहती है कि वो अपनी क्लास में फर्स्ट आई है तो मेरा सारा दर्द गायब हो जाता है.मुझे उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार है कि वो टीचर बन जाये और मैं उसे गले लगाकर बोल सकूँ- “मुझे उस पर कितना गर्व है”.वो हमारे परिवार की पहली ग्रेजुएट होने जा रही है. जैसे ही उसका रिजल्ट आएगा मैं पूरे हफ्ते किसी भी कस्टमर से पैसे नहीं लूँगा. लोग बताते हैं कि  महापुरुष का नाम आदरणीय श्री देशराज जी है.खार डंडा नाका पर मिल जायेंगे गाडी नंबर 160 है।
नमन है आपको और आपकी सोच, मेहनत और त्याग को

लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

Nationalist Bharat Bureau

पीवी सिंधु 22 दिसंबर को दुल्हन बनेंगी,PM मोदी, तेंदुलकर सहित कई हस्तियों को निमंत्रण

Nationalist Bharat Bureau

गाह गांव के बेटे ‘मोहना’ की मौत से जन्म भूमि भी शोकाकुल 

Nationalist Bharat Bureau

सुख समृद्धि के लिए घर के मुख्य द्वार पर करें ये उपाय

कृषि विभाग के अधिकारियों को भारतीय प्रबंधन संस्थान विशेष प्रशिक्षण देगा

Nationalist Bharat Bureau

Brain Cancer: कैंसर कोशिकाओं से ब्रेन कैंसर का इलाज! मरीजों के जीवन में रोशनी ला रहा नया शोध?

cradmin

गृह विभाग में बड़े पैमाने पर बहाली

Nationalist Bharat Bureau

अब तक 33 हजार शिक्षकों ने स्थानातंरण के लिए किया आवेदन,2,919 शिक्षक दंपती भी शामिल

Nationalist Bharat Bureau

एलन मस्क और निचोड़ेंगे X यूजर की जेब!

Nationalist Bharat Bureau

ओमप्रकाश चैटाला के निधन पर राजद ने संवेदना प्रकट की

Nationalist Bharat Bureau

Leave a Comment