Muzaffarpur:दिवाली के पावन पर्व पर जहां बाजार में विदेशी चाइनीज बल्ब और सजावटी सामानों की भरमार है, वहीं मुजफ्फरपुर के कुम्हार जयप्रकाश पंडित ने अपने देसी मिट्टी के उत्पादों के जरिए चीन को टक्कर देने का संकल्प लिया है। जयप्रकाश पंडित अपने हाथों से बनाए मिट्टी के दीये, मूर्तियां और अन्य सजावटी सामान तैयार कर लोगों को देश की मिट्टी से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनका उद्देश्य सिर्फ स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना ही नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता का संदेश देना भी है।
इस बार जयप्रकाश ने अपने दीप-दीयों और सजावटी वस्तुओं को विशेष रंग-रूप दिया है। उन्होंने देसी रंगों का इस्तेमाल किया है, जिससे उनके उत्पादों में एक आकर्षक लुक आ गया है। उन्होंने बताया कि ये मिट्टी के सामान बनाने में पिछले छह महीने से मेहनत कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनका उद्देश्य केवल बिक्री नहीं, बल्कि यह भी है कि लोग अपने देश की मिट्टी की महक में बसी आस्था और अपनापन महसूस करें। हर रंग और डिजाइन को बड़े खास तरीके से तैयार किया गया है ताकि लोगों को हमारी संस्कृति से जुड़ाव का अनुभव हो।

जयप्रकाश का मानना है कि मिट्टी हमारी संस्कृति और परंपरा से गहराई से जुड़ी हुई है। वे कहते हैं कि हमारी जड़ें इसी मिट्टी में हैं, और इसे संजोना हमारा कर्तव्य है। जयप्रकाश मिट्टी के बने दीपों और मूर्तियों के प्रति लोगों में जागरूकता लाना चाहते हैं ताकि वे आत्मनिर्भर बनें और ‘वोकल फॉर लोकल’ की भावना को समझ सकें। उनके इस प्रयास से छोटे कारीगरों को भी सहारा मिल रहा है, जो विदेशी बाजार की प्रतिस्पर्धा के बीच अपने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं।
जयप्रकाश के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में सस्ते चाइनीज बल्ब और सजावटी सामानों की वजह से हमारे देश के कारीगरों की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ा है। उन्होंने मिट्टी के उत्पादों में एक नई तरह की खूबसूरती पैदा की है ताकि लोग चाइनीज उत्पादों को छोड़कर देसी सामान की ओर आकर्षित हों। जयप्रकाश का कहना है कि यदि लोग विदेशी उत्पादों का मोह छोड़कर देशी मिट्टी के उत्पाद अपनाते हैं, तो यह चीन को एक मजबूत जवाब होगा।
अपनी छह महीने की कठिन मेहनत के बाद जयप्रकाश के मिट्टी के दीये और सजावटी सामान अब खूब बिक रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी इस पहल से न केवल अच्छी आय हो रही है बल्कि लोगों में देशी उत्पादों के प्रति जागरूकता भी बढ़ी है। आस्था और परंपरा से जुड़े होने के कारण लोग इन देसी उत्पादों की ओर स्वाभाविक रूप से आकर्षित हो रहे हैं।

