Nationalist Bharat
विविध

वो 10 फैसले जिसने न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ के कार्यकाल को महत्वपूर्ण और न्यायिक प्रणाली में सुधारों के लिए स्मरणीय बना दिया।

New Delhi:मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, और उनके बाद न्यायमूर्ति संजीव खन्ना अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे। अपने आखिरी कार्यदिवस पर भी न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले की सात सदस्यीय संविधान पीठ का नेतृत्व करते रहे। आइए, उनके 10 बड़े फैसलों और उनके असर को संक्षेप में जानें:

1. **इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक**: इस साल फरवरी में, मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने राजनीतिक पार्टियों को चंदे के लिए इस्तेमाल किए जा रहे इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाई। इस फैसले से बॉन्ड से जुड़ी पारदर्शिता में सुधार हुआ और चुनाव में मुद्दा बनाकर साठगांठ की संभावनाओं पर लगाम लगी।

2. **निजी संपत्तियों पर अधिग्रहण अधिकार**: 5 नवंबर 2024 को, नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने निजी संपत्तियों को अधिग्रहित कर फिर से वितरण करने के सरकारी अधिकार को सीमित कर दिया। इस फैसले के बाद सरकारों को अधिग्रहण के लिए संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत प्रमाणित करना होगा।

3. **यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट**: इसी दिन, मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट-2004 को संवैधानिक घोषित किया। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से उत्तर प्रदेश के हजारों मदरसों में पढ़ने वाले 17 लाख से अधिक छात्रों की शिक्षा प्रभावित नहीं होगी, हालांकि कामिल और फाजिल की डिग्री को अवैध करार दिया गया।

4. **अनुच्छेद 370 पर निर्णय**: दिसंबर 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द करने का समर्थन किया। कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द बहाल करने और 30 सितंबर 2024 तक चुनाव कराने का आदेश भी दिया, जिससे वहां नई नीतियों का क्रियान्वयन और चुनाव सुनिश्चित हुआ।

5. **समलैंगिक विवाह**: 17 अक्टूबर 2023 को, संविधान पीठ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार किया और इसे संसद का विषय बताया। हालांकि, कोर्ट ने समलैंगिकों को बच्चा गोद लेने का अधिकार दिया, जिससे समलैंगिक समुदाय की मानवीय आवश्यकताओं पर ध्यान देने का संकेत दिया।

6. **धारा 6ए की वैधता**: अक्तूबर 2024 में, मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए को वैध करार दिया, जिससे 1966 से 1971 के बीच बांग्लादेश से असम आए शरणार्थियों को नागरिकता का अधिकार मिला।

7. **जेलों में जातिगत भेदभाव**: 3 अक्तूबर 2024 को, सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जेलों में जातिगत भेदभाव पर रोक लगाते हुए इसे गैर-कानूनी घोषित किया। कोर्ट के इस निर्णय से कैदियों के मौलिक अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित हुआ।

8. **नीट-यूजी रद्द करने से इनकार**: जुलाई 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी 2024 को रद्द करने से इनकार कर दिया, जिससे लाखों छात्रों को परीक्षा का दोबारा बोझ नहीं उठाना पड़ा। हालांकि, टॉपर छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का विकल्प दिया गया था।

9. **एमपी-एमएलए पर कड़ी कार्रवाई**: मार्च 2024 में, मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने वोट के बदले घूस लेने वाले सांसदों-विधायकों को जेल जाने से छूट नहीं दी। इस फैसले के अनुसार, घूस लेने वाले नेताओं पर मुकदमा चलाना अनिवार्य होगा।

10. **बाल विवाह पर गाइडलाइन**: मुख्य न्यायाधीश ने बाल विवाह निषेध अधिनियम को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि परंपरा के नाम पर बाल विवाह नहीं किया जा सकता, जिससे इस प्रथा पर कानूनी अंकुश लगाया जा सकेगा।

इन फैसलों ने न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ के कार्यकाल को महत्वपूर्ण और न्यायिक प्रणाली में सुधारों के लिए स्मरणीय बना दिया।

लालू यादव मुकेश रोशन को अपनी गाड़ी में लेकर महुआ पहुंचे

Nationalist Bharat Bureau

पटनाइट्स के लिए परिवार संग आनंद उठाने का बेहतर स्पॉट रहा बिहार सरस मेला

Nationalist Bharat Bureau

ज़ी न्यूज़ और शुभाष चंद्रा के ख़िलाफ़ किसने रची साज़िश

पूरे भारत में मनाई गई राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 156वीं जयंती, अहिंसा और सत्य का संदेश गूंजा

Nationalist Bharat Bureau

Dilip Kumar Death Anniversary:वो न आएंगे पलट कर

Nationalist Bharat Bureau

सलीम दुर्रानी नहीं रहे

2025 का विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा,जदयू की दो टूक

Nationalist Bharat Bureau

दारोगा बेटी ने बेरोजगार से शादी की,घर वालों ने उसे घर में ही नजरबंद कर दिया

शारदा सिन्हा के निधन पर पैतृक गांव हुलास में माहौल गमगीन

अगर Google पर ये सर्च किया, तो जाना पड़ सकता है जेल

Leave a Comment