Patna:
पूर्व सांसद और जेडीयू नेता आनंद मोहन ने अपनी ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए तिरहुत स्नातक स्तर के विधान पार्षद उपचुनाव में जेडीयू की हार का ठीकरा पार्टी के सांसद देवेश्चंद ठाकुर पर फोड़ा है। आनंद मोहन ने आरोप लगाया कि राजपूतों की अनदेखी के कारण पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। उनका कहना था कि राजपूतों के साथ बंधुआ मजदूर जैसा व्यवहार किया जाएगा, तो चुनाव में हार निश्चित है। उन्होंने बताया कि तिरहुत स्नातक क्षेत्र में पांच विधायक और दो सांसद राजपूत हैं, फिर भी हमें नजरअंदाज किया गया।
आनंद मोहन ने जेडीयू की हार को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए और पार्टी नेतृत्व, खासकर सरकार के एजेंटों पर निशाना साधा। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चेताते हुए कहा कि बिहार में शिक्षकों की नाराजगी ही स्नातक शिक्षक उपचुनाव में हार का प्रमुख कारण बनी है। उनका सुझाव था कि सरकार को शिक्षकों की लंबित मांगों पर तत्काल ध्यान देना चाहिए और चुनाव से पहले मुख्यमंत्री के द्वारा सदन में किए गए ऐलानों को लागू किया जाना चाहिए।
इसके अलावा, आनंद मोहन ने स्मार्ट मीटर के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा, जिसमें उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटर के कारण आम लोगों के बिजली बिल बढ़ गए हैं, जिससे नाराजगी फैल रही है। इसके साथ ही उन्होंने बिहार में हो रहे जमीन सर्वे को लेकर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि यह सर्वे ग्रामीणों के बीच झगड़ों और विवादों का कारण बन रहा है, जिस पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए।
चिराग पासवान के इस बयान पर कि वे एनडीए में नहीं हैं, आनंद मोहन ने कहा कि यह एक अच्छी बात है, क्योंकि वे खुद एनडीए में नहीं हैं और इसलिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा कि वे अब किसी के राजनीतिक दबाव में नहीं रह सकते और अपनी ताकत दिखाएंगे। आनंद मोहन ने यह भी स्पष्ट किया कि वे चिराग पासवान से अब आर-पार के मूड में हैं और आने वाले समय में अपनी ताकत से जवाब देंगे।
इस बयान से साफ जाहिर है कि आनंद मोहन अब अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता और ताकत को लेकर पूरी तरह से आक्रामक मूड में हैं।