पटना: बिहार के वैशाली जिले में राघोपुर को पटना से जोड़ने वाले कच्ची दरगाह-बिदुपुर सिक्स लेन पुल के उद्घाटन के साथ ही एक नया विवाद खड़ा हो गया है। स्थानीय नेताओं और राघोपुर के निवासियों ने इस पुल के नामकरण को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं, इसे राघोपुर की अस्मिता और अस्तित्व को मिटाने की “राजनीतिक साजिश” करार दिया है। उद्घाटन समारोह में न तो स्थानीय सांसद और न ही विधायक शामिल हुए, जिससे इस मुद्दे ने और तूल पकड़ लिया है।
2020 के विधानसभा चुनाव में राघोपुर विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के खिलाफ 25,000 वोट लाकर सुर्खियों में आए और 2024 के तिरहुत स्नातक विधान परिषद उपचुनाव किस्मत अजमाने वाले राकेश रौशन, जिनके पिता स्वर्गीय वीर बृजनाथी सिंह की 2016 में इस पुल से जुड़े आंदोलन के दौरान हत्या कर दी गई थी, ने इस मुद्दे पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “6000 करोड़ की लागत से बने इस सिक्स लेन पुल का नाम कच्ची दरगाह-बिदुपुर रखा गया है, जिसमें राघोपुर का नाम कहीं नहीं है। यह राघोपुर के अस्तित्व को मिटाने की साजिश है।” उन्होंने बताया कि उनके पिता ने इस पुल के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर दी, लेकिन अब राघोपुर का नाम केवल एक प्लेट तक सीमित रह जाएगा।

राकेश रौशन ने आगे कहा, “31 जनवरी 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार के दौरान इस पुल का शिलान्यास किया था। मात्र पांच दिन बाद, 5 फरवरी 2016 को मेरे पिता वीर बृजनाथी सिंह की कच्ची दरगाह में हत्या कर दी गई। उनकी कुर्बानी के कारण यह पुल आज बनकर तैयार है, लेकिन राघोपुर का नाम इस ऐतिहासिक परियोजना से गायब है।”23 जून 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा कच्ची दरगाह-बिदुपुर सिक्स लेन पुल के पहले चरण का उद्घाटन किया गया। इस समारोह में राघोपुर के विधायक तेजस्वी यादव और स्थानीय सांसद की अनुपस्थिति ने राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया। स्थानीय नेताओं का आरोप है कि यह राघोपुर को जानबूझकर हाशिए पर धकेलने का प्रयास है। एक एक्स पोस्ट में इस मुद्दे पर लिखा गया, “राघोपुर के बिना इस पुल का कोई महत्व नहीं, फिर भी इसका नामकरण एक साजिश का हिस्सा लगता है।”
राकेश raushan ने अपने परिवार के राघोपुर से गहरे जुड़ाव को रेखांकित करते हुए कहा कि उनकी माँ वर्तमान में राघोपुर के फतेहपुर पंचायत की मुखिया हैं। उनकी चाची दस साल तक राघोपुर प्रखंड की प्रमुख रहीं, और उनके पिता निर्विरोध मुखिया संघ के अध्यक्ष थे। उनके चाचा भी फतेहपुर से पैक्स अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा, “राघोपुर की जनता ने मेरे परिवार को सब कुछ दिया। राघोपुर है, तभी हमारा सम्मान है। मैं राघोपुर के विकास और स्वर्णिम काल के लिए जीवन के अंतिम क्षण तक प्रयास करूँगा।”उन्होंने उन लोगों को भी जवाब दिया जो उन पर आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा, “पिछले चुनाव में राघोपुर की जनता ने मुझे 25,000 वोट दिए। जो मुझ पर सवाल उठा रहे हैं, वे उन 25,000 लोगों की आवाज़ पर सवाल उठा रहे हैं। मुझे इसकी परवाह नहीं, मैं राघोपुर के लिए लड़ता रहूँगा।”

राकेश रौशन ने माँग की कि राघोपुर के नाम को इस पुल में शामिल किया जाए ताकि इस क्षेत्र की पहचान बनी रहे। उन्होंने कहा, “यह पुल राघोपुर के लोगों के लिए जीवनरेखा है। इससे पटना और राघोपुर की दूरी मात्र 5 मिनट की रह जाएगी, लेकिन राघोपुर का नाम गायब करना स्वीकार्य नहीं।”
कुल मिलाकर कच्ची दरगाह-बिदुपुर सिक्स लेन पुल बिहार के विकास में एक मील का पत्थर है, लेकिन इसके नामकरण ने राघोपुर की जनता के बीच असंतोष पैदा कर दिया है। यह विवाद न केवल स्थानीय अस्मिता का सवाल है, बल्कि बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। राघोपुर के लोग और उनके नेता इस मुद्दे को लेकर एकजुट हैं और अपनी आवाज़ को बुलंद करने के लिए तैयार हैं।

