पार्टी में बढ़ते विरोध और इस्तीफों के बीच राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने रविवार को बड़ा संगठनात्मक फैसला लेते हुए पूरी राज्य इकाई, जिला इकाइयों और सभी प्रकोष्ठों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया। माना जा रहा है कि बेटे को मंत्री बनाए जाने के बाद उठी नाराजगी और भीतरखाने चल रही बगावत को रोकने के लिए यह सख्त कदम उठाया गया। पटना में आयोजित कोर कमेटी की बैठक में कुशवाहा ने संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की बात कही। इस फैसले की पुष्टि राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता फजल इमाम मल्लिक ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर की।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी के कई वरिष्ठ नेता बेटे की ताजपोशी से नाराज होकर दूरी बना रहे थे, जिससे संगठन में असंतोष की लहर तेज हो गई थी। उपाध्यक्ष और प्रवक्ता पद पर बैठे कई नेताओं के पहले ही किनारा कर लेने के बाद स्थिति और बिगड़ती दिख रही थी। इस बगावत को रोकने और अनुशासन कायम रखने के लिए कुशवाहा ने पूरी टीम को हटाकर नई व्यवस्था लागू कर दी। इसके तहत तत्काल प्रभाव से पांच सदस्यीय संचालन समिति का गठन किया गया है, जिसमें मदन चौधरी को संयोजक बनाया गया है। समिति में सुभाष चंद्रवंशी, प्रशांत पंकज, हिमांशु पटेल और आर.के. सिन्हा भी शामिल हैं।
बैठक में विधायक माधव आनंद, आलोक सिंह, रामपुकार सिन्हा, जंगबहादुर सिंह सहित कई दिग्गज नेता मौजूद रहे और नए फैसले पर अपनी सहमति जताई। अब राजनीतिक हलकों की नजर इस बात पर है कि क्या कुशवाहा की यह “बड़ी सर्जरी” पार्टी में चल रही बगावत को शांत कर पाएगी या नहीं। आने वाले दिनों में रालोमो की नई टीम और संगठनात्मक रणनीति तय करेगी कि पार्टी की सियासी दिशा किस ओर मुड़ती है।

