पटना: आगामी 29 जून को पटना के ऐतिहासिक बापू सभागार में आयोजित होने वाली “राष्ट्रीय वैश्य महासभा” वैश्य समाज के लिए एक ऐतिहासिक दिन साबित होने जा रही है। राष्ट्रीय वैश्य महासभा महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अस्मिता पूर्वे ने इसे “वैश्य समाज के आत्मसम्मान, हक और एकजुटता की ऐतिहासिक घोषणा” करार देते हुए सभी समाजबंधुओं से सपरिवार इस सभा में शामिल होने का सादर अनुरोध किया है। डॉ. पूर्वे ने कहा, “आपकी भागीदारी हमारी आवाज को नई दिशा देगी, और यह सभा बिहार के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में एक नया अध्याय जोड़ेगी।”राष्ट्रीय वैश्य महासभा में वैश्य समाज ने अपनी सामाजिक, आर्थिक और सुरक्षा संबंधी मांगों को लेकर एक व्यापक प्रस्ताव तैयार किया है। ये मांगें न केवल वैश्य समाज की बेहतरी के लिए हैं, बल्कि बिहार की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचे को मजबूत करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण हैं। प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
वैश्य आयोग का गठन: वैश्य समाज की समस्याओं के समाधान और उनके हितों की रक्षा के लिए एक समर्पित वैश्य आयोग की स्थापना।
व्यापारी सम्मान निधि: सभी व्यापारियों को जीएसटी रिटर्न के आधार पर किसान सम्मान निधि की तर्ज पर कम से कम 25,000 रुपये की वार्षिक प्रोत्साहन राशि।
सुरक्षा के लिए पुलिस चौकी: प्रमुख बाजारों में वैश्य व्यापारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस चौकियों की स्थापना।
शस्त्र लाइसेंस में प्राथमिकता: आत्मरक्षा में सक्षम व्यवसायियों को तीन महीने के भीतर डीएम द्वारा शस्त्र लाइसेंस की स्वीकृति।
जातीय जनगणना में सुधार: अति पिछड़ा वर्ग से वंचित वैश्य उपजातियों का विशेष सामाजिक-आर्थिक सर्वे, ताकि उन्हें उचित लाभ मिल सके।
स्टार्टअप के लिए ऋण सुविधा: बैंकों द्वारा तीन वर्ष के आयकर रिटर्न के बिना स्टार्टअप के इच्छुक लोगों को ऋण प्रदान करना।
सिंगल विंडो सिस्टम: व्यवसाय शुरू करने के इच्छुक लोगों को सचिवालय के जटिल प्रक्रियाओं से मुक्ति दिलाने के लिए प्रभावी सिंगल विंडो सिस्टम।
विशेष टास्क फोर्स: वैश्यों के खिलाफ हत्या, डकैती, लूट, फिरौती, अपहरण और रंगदारी जैसे गंभीर अपराधों के लिए प्रत्येक अनुमंडल में विशेष टास्क फोर्स।
निःशुल्क बीमा योजना: वार्षिक 10 लाख रुपये की जीएसटी रिटर्न दाखिल करने वाले व्यवसायियों के लिए 10 लाख रुपये का निःशुल्क बीमा।
जातीय गणना में अलग कोड: वैश्य समाज की सभी उपजातियों के लिए जातीय जनगणना में अलग-अलग कोड निर्धारित करना।
वोकल फॉर लोकल: छोटे और मझोले दुकानदारों को संरक्षण देने के लिए 500 दुकानों वाले क्षेत्र में ऑनलाइन कारोबार पर प्रतिबंध।
वैश्य सामुदायिक भवन: प्रत्येक जिले में वैश्य समाज के लिए सामुदायिक भवन का निर्माण।

बताते चलें कि बिहार में वैश्य समाज की आबादी लगभग 22% है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। फिर भी, बढ़ते अपराधों, विशेषकर व्यापारियों के खिलाफ लूट, फिरौती और हत्या जैसे मामलों ने वैश्य समाज को आर्थिक और मानसिक रूप से प्रभावित किया है। राष्ट्रीय वैश्य महासभा के प्रदेश अध्यक्ष पीके चौधरी ने कहा, “बिहार में विधि-व्यवस्था की स्थिति चरमराई हुई है। वैश्य समाज के व्यवसायी डर के साये में काम कर रहे हैं। हमारी मांगें इस समाज को न केवल सुरक्षा, बल्कि आर्थिक और सामाजिक सशक्तीकरण भी प्रदान करेंगी।”
राष्ट्रीय वैश्य महासभा का आयोजन बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले हो रहा है, जिससे इसकी राजनीतिक और सामाजिक प्रासंगिकता और बढ़ गई है। आयोजन में वैश्य समाज के उद्योगपति, सामाजिक कार्यकर्ता, महिलाएं और युवा शामिल होंगे। डॉ. अस्मिता पूर्वे ने जोर देकर कहा, “29 जून सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि वैश्य समाज के लिए एक आंदोलन की शुरुआत है। हमारी एकता ही हमारी ताकत है।”
ये मांगें जदयू-नीत एनडीए सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती हैं, जो पहले से ही बेरोजगारी, अपराध और विकास जैसे मुद्दों पर आलोचना का सामना कर रही है। विशेष रूप से, जीएसटी आधारित प्रोत्साहन राशि और ऑनलाइन कारोबार पर प्रतिबंध जैसी मांगें छोटे व्यापारियों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती हैं, जो कोविड-19 और डिजिटल अर्थव्यवस्था के दबाव में संघर्ष कर रहे हैं। साथ ही, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी इस आयोजन के जरिए वैश्य वोट बैंक को साधने की कोशिश की है, जैसा कि राजद नेता समीर महासेठ ने कहा कि वैश्य समाज की सभी उपजातियां महागठबंधन के पक्ष में वोट करेंगी।
राष्ट्रीय वैश्य महासभा न केवल मांगों को उठाने का मंच है, बल्कि वैश्य समाज के भीतर एकता और जागरूकता का प्रतीक भी है। आयोजन में “वोकल फॉर लोकल” के नारे को बढ़ावा देने और स्थानीय व्यापार को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया जाएगा। डॉ. अस्मिता पूर्वे ने कहा, “हमारा समाज बिहार की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। हमारी मांगें न सिर्फ हमारे हक की बात करती हैं, बल्कि पूरे राज्य के विकास को गति दे सकती हैं।”
29 जून को बापू सभागार में होने वाली राष्ट्रीय वैश्य महासभा वैश्य समाज के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है, जहां वे अपनी मांगों को न केवल सरकार, बल्कि पूरे समाज के सामने रखेंगे। यह आयोजन न सिर्फ वैश्य समाज की एकता को दर्शाएगा, बल्कि बिहार के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में एक नया मोड़ लाने की क्षमता रखता है। सवाल यह है कि क्या सरकार इन मांगों को गंभीरता से लेगी, या यह “लोकतंत्र का उत्सव” एक बार फिर सिर्फ वादों तक सीमित रह जाएगा?

