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चिराग पासवान के बहनोई अरुण भारती का नीतीश पर तंज, NDA में तनाव की अटकलें तेज

पटना: बिहार की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है, जब लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के जमुई सांसद अरुण भारती ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा तंज कसा। भारती, जो केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के बहनोई हैं, ने अपने पोस्ट में लिखा, “बिहार विधानसभा में बहुमत साबित करने से पहले इस्तीफा दे देने का अनुभव – वाकई चिराग पासवान जी के पास नहीं है।” यह बयान नीतीश कुमार के 2000 के उस दौर की ओर इशारा करता है, जब उन्होंने केवल 7 दिनों में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि उनकी तत्कालीन समता पार्टी और NDA गठबंधन बहुमत साबित नहीं कर पाया था। इस पोस्ट ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के भीतर तनाव की अटकलों को हवा दे दी है, खासकर जनता दल यूनाइटेड (JDU), लोक जनशक्ति पार्टी (LJP-RV), और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के बीच।

 

भारती का यह बयान 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले NDA के भीतर सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर चल रही खींचतान की ओर संकेत करता है। सूत्रों के अनुसार, JDU और BJP के बीच सीट बंटवारे पर चर्चा चल रही है, जिसमें JDU 102-103 सीटों पर और BJP 101-102 सीटों पर दावेदारी कर रही है। बाकी सीटें LJP-RV, HAM, और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के बीच बंटेंगी, जिसमें चिराग पासवान की LJP-RV को 25-28 सीटें मिलने की संभावना है। हालांकि, चिराग पासवान द्वारा सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने और सामान्य सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा ने JDU के भीतर बेचैनी बढ़ा दी है।

 

RJD नेता तेजस्वी यादव ने इस मौके का फायदा उठाते हुए कहा, “चिराग पासवान को खुलकर कहना चाहिए कि वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, न कि ‘बिहार बुला रहा है’ का ड्रामा करना चाहिए।” उन्होंने NDA के भीतर दरार का दावा करते हुए कहा कि यह गठबंधन 2020 की तरह फिर से कमजोर पड़ सकता है।

 

JDU प्रवक्ता नीरज कुमार ने इस तंज का जवाब देते हुए कहा, “NDA में कोई तनाव नहीं है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में गठबंधन एकजुट है और बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।” उन्होंने भारती के बयान को “निजी राय” करार देते हुए कहा कि सीट बंटवारे पर सहमति जल्द बन जाएगी। दूसरी ओर, BJP ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि BJP नीतीश और चिराग दोनों को संतुलित रखने की कोशिश कर रही है, क्योंकि पासवान समुदाय का 5-6% वोट और युवाओं में चिराग की लोकप्रियता NDA के लिए महत्वपूर्ण है।

 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अरुण भारती का यह पोस्ट चिराग पासवान की रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जो 2020 में JDU को 28 सीटों पर नुकसान पहुंचाने के बाद अब अपनी पार्टी की ताकत दिखाना चाहते हैं। 2020 में LJP ने NDA से अलग होकर 134 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 5.66% वोट शेयर के साथ JDU के कई उम्मीदवारों की हार का कारण बनी थी। इस बार चिराग की सामान्य सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा और उनके बहनोई का यह बयान NDA के भीतर नेतृत्व और प्रभाव की जंग को उजागर करता है।

 

HAM के नेता जीतन राम मांझी ने इस विवाद पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा, “हमारा फोकस बिहार के विकास पर है, न कि बयानबाजी पर।” हालांकि, HAM और LJP-RV के बीच भी सीटों की दावेदारी को लेकर तनाव की खबरें हैं।

 

2025 के चुनाव से पहले NDA के भीतर यह उथल-पुथल बिहार की सियासत में नए समीकरण बना सकती है। क्या चिराग पासवान अपने पिता राम विलास पासवान की तरह बिहार की सत्ता की चाबी बन पाएंगे, _

 

या फिर नीतीश कुमार एक बार फिर अपनी सियासी चाल से गठबंधन को एकजुट रख पाएंगे? यह सवाल बिहार की जनता के बीच चर्चा का विषय बन गया है। अरुण भारती का यह पोस्ट न केवल नीतीश के 2000 के अल्पकालिक मुख्यमंत्री कार्यकाल की याद दिलाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि LJP-RV 2025 के चुनाव में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए आक्रामक रुख अपना रही है।

 

जमुई सांसद के इस बयान ने सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रियाएँ उकसाई हैं। कुछ यूजर्स ने इसे NDA के भीतर “अंदरूनी कलह” का सबूत बताया, तो कुछ ने इसे चिराग पासवान की मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षा से जोड़ा। बिहार की सियासत में यह तंज एक चिंगारी की तरह है, जो 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले NDA के लिए चुनौतियाँ खड़ी कर सकता है।

 

सूत्रों के अनुसार, चिराग पासवान की रणनीति न केवल अपनी पार्टी के लिए अधिक सीटें हासिल करना है, बल्कि गैर-दलित मतदाताओं, विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं, के बीच अपनी पहुँच बढ़ाना भी है। दूसरी ओर, नीतीश कुमार की JDU अपने 20% वोट शेयर और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) के समर्थन के दम पर NDA की धुरी बनी हुई है।

 

2025 का बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक है, और इस तरह की बयानबाजी से NDA के सामने एकता बनाए रखने की चुनौती बढ़ गई है। क्या यह तंज केवल सियासी रणनीति है, या वास्तव में गठबंधन में दरार पड़ रही है? इसका जवाब शायद अक्टूबर-नवंबर में होने वाले चुनाव परिणाम ही देंगे। फिलहाल, बिहार की सियासत में यह नया विवाद चर्चा का केंद्र बन गया है।

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