पटना। बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमाने लगी है। 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान की औपचारिक शुरुआत करने का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने “हर घर अधिकार रैली” के ज़रिए प्रदेश की जनता के बीच जाने का निर्णय लिया है। खास बात यह है कि इस रैली का नेतृत्व कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा करेंगी।
कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि यह अभियान महज़ एक रैली नहीं बल्कि “जनसंवाद” का मंच होगा। पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस रैली के ज़रिए कांग्रेस जनता को यह संदेश देना चाहती है कि वह महंगाई, बेरोज़गारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर राज्य की जनता के साथ खड़ी है।
जनता से सीधा जुड़ाव
पार्टी सूत्रों के अनुसार, “हर घर अधिकार रैली” चरणबद्ध तरीके से पूरे बिहार में चलाई जाएगी। इसका मकसद है घर-घर जाकर लोगों से संवाद करना और उनकी समस्याओं को सुनना। कांग्रेस का दावा है कि राज्य सरकार और केंद्र की नीतियों ने आम आदमी को परेशानी में डाल दिया है, ऐसे में पार्टी एक सशक्त विकल्प के रूप में खुद को प्रस्तुत करना चाहती है।
प्रियंका गांधी की सक्रिय भूमिका
इस बार कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को सामने लाने का फैसला किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रियंका गांधी का सीधा जुड़ाव युवाओं और महिलाओं पर असर डाल सकता है। वे उत्तर प्रदेश चुनाव में सक्रिय रह चुकी हैं और अब बिहार में कांग्रेस को मज़बूत करने के लिए उन्हें जिम्मेदारी दी जा रही है। चुनावी समीकरण पर असर
बिहार की राजनीति में महागठबंधन पहले से ही सक्रिय है, जिसमें राजद, जदयू और कांग्रेस शामिल हैं। हालांकि कांग्रेस कई बार इस गठबंधन में “कमज़ोर कड़ी” मानी जाती रही है। लेकिन इस बार पार्टी का कहना है कि वह अपने संगठन को मज़बूत करेगी और सीटों के लिए लड़ाई भी मजबूती से लड़ेगी। रैली के जरिए कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि वह केवल सहयोगी दल नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका निभाने की क्षमता रखती है।
विपक्ष और सत्ता पक्ष की प्रतिक्रिया
भाजपा ने कांग्रेस की इस पहल को “चुनावी नौटंकी” बताया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि जनता कांग्रेस को पहले ही नकार चुकी है और इस तरह की रैलियों से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वहीं, राजद ने कांग्रेस के कदम का स्वागत करते हुए कहा कि महागठबंधन की एकजुटता से भाजपा को करारा जवाब मिलेगा।
कुल मिलाकर, कांग्रेस की “हर घर अधिकार रैली” बिहार की राजनीति में नया रंग भरने वाली है। प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस अपने संगठन को धार देने और जनता से जुड़ने की कोशिश कर रही है। अब देखना होगा कि यह रैली चुनावी समीकरणों को कितना प्रभावित कर पाती है और क्या कांग्रेस बिहार में अपनी खोई ज़मीन दोबारा हासिल कर पाती है।