पटना: काम-धंधे और रोजगार के लिए बिहार से दूसरे राज्यों में जाने वाले कामगारों की संख्या में पिछले 12 वर्षों के दौरान उल्लेखनीय कमी आई है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। इस रिपोर्ट में राज्यों की समृद्धि का आकलन करते हुए बताया गया है कि बिहार में रोजगार के अवसर बढ़ने से लोगों का पलायन धीमा हो गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, अंतर्राज्यीय पलायन (इंटर-स्टेट माइग्रेशन) को लेकर राज्यों के आकर्षण में बदलाव आया है। पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे राज्य, कम दूरी वाले पलायन के लिहाज से शीर्ष पर आ गए हैं, जबकि आंध्र प्रदेश और बिहार की स्थिति में गिरावट आई है। वहीं, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, और कर्नाटक में आने वाले प्रवासियों की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है, जबकि महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में यह संख्या घटी है।
रिपोर्ट में आंकड़ों के मुताबिक, बिहार के सहरसा जिले से सबसे अधिक पलायन होता है। पलायन करने वाले ज्यादातर लोग मुंबई, बेंगलुरु, हावड़ा, मध्य दिल्ली और हैदराबाद जैसे जिलों की ओर रुख करते हैं। दिल्ली अब भी बिहार से पलायन करने वालों की पहली पसंद बनी हुई है। राज्य स्तर पर, बिहार और दिल्ली के बीच पलायन की संख्या अब भी सबसे अधिक है।
2011 में भारत में प्रवासी कामगारों की संख्या 45.57 करोड़ थी, जो 2023 में घटकर 40.20 करोड़ रह गई। इस प्रकार, प्रवासी कामगारों की संख्या में 12 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। ईएसी-पीएम के पूर्व चेयरमैन बिबेक देबराय द्वारा लिखे गए पेपर में कहा गया है कि यह कमी प्रमुख क्षेत्रों के आसपास बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे, और आर्थिक अवसरों की उपलब्धता के कारण हुई है।
रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है “40 करोड़ सपने! उच्च आवृत्ति डेटा का उपयोग करके भारत में घरेलू प्रवास की स्थिति और दिशा की जांच,” यह भी बताती है कि भारत में कुल घरेलू प्रवास दर धीमी हो रही है। 2011 की जनगणना के अनुसार प्रवास दर कुल जनसंख्या का 37.64 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 28.88 प्रतिशत हो गई है। देबराय ने लिखा कि यह देश में बढ़ते आर्थिक अवसरों का संकेत है।

