पटना: बिहार में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के तहत आज ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की गई है। इस बीच, राजधानी पटना के कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र की समाजसेविका, जनता प्रतिनिधि और जनसुराज सारथी वंदना कुमारी ने दावा किया है कि उनका नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में शामिल नहीं है। उन्होंने इसे राजनीतिक साजिश करार देते हुए चुनाव आयोग से इस मामले में संज्ञान लेने की मांग की है।
वंदना कुमारी ने अपने फेसबुक पेज पर इस मुद्दे को उठाते हुए लिखा, “एसआईआर ड्राफ्ट में मेरा नाम नहीं आया है। मैंने अपने बीएलओ के पास अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ डॉक्यूमेंट जमा किए थे। परिवार के तमाम लोगों का नाम दिख रहा है, लेकिन ड्राफ्ट में मेरा नाम नहीं आया है। यह राजनीतिक साजिश के तहत दिख रहा है, इस पर संज्ञान लें। मैंने फॉर्म में अपना पासपोर्ट संलग्न किया था।” उन्होंने अपने पोस्ट में भारत निर्वाचन आयोग को टैग भी किया।

वंदना के अनुसार, उन्होंने अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ सभी आवश्यक दस्तावेज, जिसमें उनका पासपोर्ट भी शामिल था, बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) को जमा कराए थे। इसके बावजूद उनका नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं होने से क्षेत्र में चर्चा का माहौल है। उनके समर्थकों का कहना है कि यह एक सुनियोजित तरीके से किया गया है, ताकि उनकी सामाजिक और राजनीतिक सक्रियता को कमजोर किया जाए।

चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल
बिहार में चल रहे इस विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान का उद्देश्य मतदाता सूची से डुप्लीकेट, मृत, या अपात्र व्यक्तियों के नाम हटाना और पात्र मतदाताओं को शामिल करना है। ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित की गई है, और 1 सितंबर 2025 तक कोई भी व्यक्ति या राजनीतिक दल आपत्ति या दावा दर्ज कर सकता है। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित होगी।
हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर पहले से ही विपक्षी दल और कई सामाजिक कार्यकर्ता सवाल उठा रहे हैं। उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और इससे खासकर गरीब, अल्पसंख्यक, और कमजोर वर्गों के मतदाताओं को निशाना बनाया जा रहा है। वंदना कुमारी का मामला इस विवाद को और हवा दे सकता है।

