Patna:बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां चरम पर हैं। भाजपा, कांग्रेस, जनता दल यूनाइटेड सहित सभी प्रमुख दलों के नेता प्रचार में जुटे हैं, लेकिन मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लिए महिला प्रकोष्ठ एक बड़ा संकट बन गया है। एक ओर वर्तमान प्रदेश महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष ऋतू जायसवाल ने बागी तेवर अपनाते हुए सीतामढ़ी जिले के परिहार विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया है, वहीं पूर्व अध्यक्ष प्रतिमा कुशवाहा ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है। इन घटनाक्रमों से राजद महिला प्रकोष्ठ नेतृत्वहीन हो चुका है, जो पार्टी की आंतरिक कलह को उजागर करता है।
चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण के नामांकन की अंतिम तारीख (20 अक्टूबर) से ठीक पहले ऋतू जायसवाल ने विद्रोह का ऐलान किया। टिकट न मिलने से नाराज जायसवाल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि परिहार सीट से उन्हें उम्मीद थी, लेकिन पार्टी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे की बहू स्मिता को टिकट थमा दिया, जिसे वे अपनी 2020 की हार का जिम्मेदार मानती हैं। जायसवाल ने कहा, “यह मेरी अंतरात्मा के खिलाफ होता अगर मैं कहीं और से लड़ती। परिहार मेरे लिए भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है।” उन्होंने 19 अक्टूबर को नामांकन दाखिल किया और समर्थकों से बड़ी संख्या में उपस्थिति की अपील की। जायसवाल, जो 2024 लोकसभा चुनाव में शेखपुर से हार चुकी हैं, ने पूर्वे पर “विश्वासघात” का आरोप लगाया। राजद ने अभी तक आधिकारिक उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की, लेकिन स्मिता को तेजस्वी यादव से प्रतीक मिलते हुए तस्वीरें वायरल हो चुकी हैं।
दूसरी ओर, आज ही पटना में पूर्व महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष प्रतिमा कुशवाहा ने राजद को अलविदा कहते हुए भाजपा में शामिल हो गईं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने उनका स्वागत किया। कुशवाहा ने कहा, “राजद अब लालू प्रसाद के समय वाली पार्टी नहीं रही। वहां घासफूस नेताओं का सम्मान नहीं होता। भाई-भतीजावाद और वंशवाद हावी है।” उन्होंने तेजस्वी यादव के रोजगार देने के दावों पर तंज कसा, “उन्होंने नौकरियां नहीं, बल्कि परिवार को आरक्षण दिया। वास्तविक आरक्षण तो एनडीए सरकार ने महिलाओं और पिछड़ों को दिया।” जायसवाल ने कहा कि राजद-कांग्रेस में भाई-भतीजावाद से कई नेता नाराज हैं, और एनडीए दो-तिहाई बहुमत से सत्ता में लौटेगा।
इन घटनाओं से राजद महिला प्रकोष्ठ पूरी तरह से अध्यक्षविहीन हो गया है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यह आंतरिक असंतोष का नतीजा है। टिकट वितरण में पारदर्शिता की कमी से बगावतें हो रही हैं।” महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर भी विवाद चल रहा है, जहां राजद ने 143 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन कई जगह दोहरी उम्मीदवारी से गठबंधन कमजोर दिख रहा है।
वहीं, भाजपा ने इसे राजद की “आंतरिक कलह” बताते हुए कहा कि विपक्षी दलों से निराश नेता एनडीए की ओर आकर्षित हो रहे हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, पहले चरण की 121 सीटों पर 6 नवंबर को और बाकी पर 11 नवंबर को मतदान होगा, जबकि 1 नवंबर को नतीजे आएंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि राजद का यह संकट महागठबंधन की एकजुटता पर असर डाल सकता है, खासकर महिलाओं के मुद्दों पर।
राजद ने अभी तक इन घटनाओं पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन तेजस्वी यादव ने हालिया रैलियों में विकास और रोजगार पर जोर देते हुए कहा है कि “बिहार गरीब राज्य बना हुआ है, एनडीए की 20 साल की सरकार जिम्मेदार है।” बिहार की सियासत में यह नया मोड़ चुनावी समीकरण बदल सकता है।

