बिहार विधानसभा चुनाव में मिली 202 सीटों की ऐतिहासिक जीत के बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने गांधी मैदान में शपथ ली। लेकिन चुनावी नतीजों के बाद सबसे ज्यादा चर्चा उस योजना की हो रही है, जिसने करोड़ों महिलाओं को सीधे जोड़कर हवा का रुख बदल दिया—महिलाओं के खाते में 10 हजार रुपये भेजने का फैसला। अब खुलासा हुआ है कि यह रणनीतिक आइडिया किसका था और इसकी तैयारी कब से शुरू हुई थी।
सूत्रों के अनुसार इस योजना की प्लानिंग करीब पांच महीने पहले शुरू हुई। बिहार के मुख्य सचिव के सामने एक महत्वपूर्ण प्रेजेंटेशन दिया गया, जिसमें ‘महिला आर्थिक सशक्तिकरण मॉडल’ के रूप में पूरे प्लान को पेश किया गया। इसके बाद इसे सरकार की योजना में शामिल किया गया और चुनाव से ठीक पहले लागू कर दिया गया। दिलचस्प बात यह रही कि इसकी भनक बाहर लगभग किसी को नहीं लगी।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक इंटरव्यू में दावा किया कि इस योजना का ब्लूप्रिंट उन्होंने बिहार सरकार के अनुरोध पर बनाया था। उनकी टीम ने तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी अमृत लाल मीणा और मौजूदा चीफ सेक्रेटरी प्रत्यय अमृत को ‘जीविका 10,000 मॉडल’ पर प्रस्तुति दी थी। वहीं सरमा ने यह भी बताया कि मध्य प्रदेश में चर्चित लाडली बहना योजना भी असम की ‘अरुणोदय योजना’ से प्रेरित थी। बिहार में यह मॉडल पूरी तरह चुनावी मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ।

