मोकामा से नव-निर्वाचित जेडीयू विधायक और बाहुबली नेता अनंत सिंह के शपथ ग्रहण को लेकर सवाल तेज हो गए हैं। दुलारचंद यादव हत्याकांड में न्यायिक हिरासत में होने के कारण वे फिलहाल बेऊर जेल में बंद हैं। हाल ही में उनकी जमानत याचिका भी कोर्ट ने खारिज कर दी। ऐसे में जब बिहार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा और 243 विधायकों को शपथ लेनी होगी, तो अनंत सिंह की शपथ प्रक्रिया कैसे पूरी होगी, इस पर राजनीतिक और कानूनी चर्चाएँ तेज हैं।
संविधान एवं विधानसभा नियमों के अनुसार निर्वाचित विधायक को छह महीने के भीतर शपथ लेकर सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेना जरूरी है। अनंत सिंह सजायाफ्ता नहीं हैं, इसलिए वे कानूनी रूप से शपथ लेने के पात्र हैं। आमतौर पर जेल में बंद जनता के प्रतिनिधि अदालत से अस्थायी जमानत या पैरोल लेकर विधानसभा पहुंचकर पद की शपथ लेते हैं। 2020 में भी अनंत सिंह ने इसी प्रक्रिया के जरिए शपथ ग्रहण किया था। हालांकि दुर्लभ मामलों में अधिकृत अधिकारी जेल जाकर भी शपथ दिला सकता है, लेकिन ऐसी मिसालें बहुत कम हैं।
शपथ के बाद भी चुनौतियाँ बनी रहेंगी। यदि अनंत सिंह जेल में ही रहते हैं तो उन्हें लगातार सदन से अनुपस्थित रहने की सूचना स्पीकर को देनी होगी, क्योंकि कोई सदस्य 59 दिनों से अधिक बिना अनुमति गैरहाजिर नहीं रह सकता। यदि बाद में उन्हें दोषी ठहराते हुए दो साल या उससे अधिक की सजा होती है तो प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत उनकी विधायकी स्वतः समाप्त हो जाएगी। अब सबकी नजर इस बात पर है कि अदालत उन्हें पैरोल देती है या नहीं, और शपथ प्रक्रिया कब पूरी होती है।

