राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को भारतीय भाषाओं और मातृभाषाओं के घटते प्रयोग पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आज स्थिति ऐसी हो गई है कि देश के कुछ लोग अपनी ही भाषा को ठीक तरह से नहीं जानते। यह समाज और संस्कृति के लिए चिंताजनक दिशा है, क्योंकि भाषा ही किसी राष्ट्र की पहचान और परंपरा की सबसे मजबूत कड़ी होती है।
भागवत ने कहा कि आधुनिकता और सुविधाओं की दौड़ में भारतीय भाषाओं का महत्व लगातार कम होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि मातृभाषा की जगह तेज़ी से विदेशी भाषाएं जगह ले रही हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियों में अपनी जड़ों से दूर होने का खतरा बढ़ रहा है। उनके अनुसार, किसी भी समाज का आत्मविश्वास उसकी भाषा और संस्कृति से जुड़ा होता है।
आरएसएस प्रमुख ने भारतीयों से अपील की कि वे अपने घरों, समाज और शिक्षा में मातृभाषा के उपयोग को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि स्थानीय और भारतीय भाषाओं की समृद्धि को पहचानने की जरूरत है और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आने वाली पीढ़ियां अपनी भाषा, संस्कृति और पहचान को न भूलें।

