पटना:मजदूर विरोधी लेबर कोड, सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम मजदूरी की लूट, महंगाई, निजीकरण और दमनकारी आपराधिक कानूनों के खिलाफ लड़ाई तेज करने के लिए असंगठित कामगार महासंघ (ऐक्टू) के राज्य कार्यकारिणी की बैठक पटना के दरोगा राय पथ (हड़ताली मोड़ के नजदीक) स्थित राज्य कार्यालय में हुई। बैठक की अध्यक्षता राज्य अध्यक्ष सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने की। बैठक में एआईसीडब्ल्यूएफ के राष्ट्रीय महासचिव एसके शर्मा व ऐक्टू के राज्य अध्यक्ष आरएन ठाकुर भी विशेष रुप से शामिल हुए। बैठक में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की समस्याओं और केंद्र –राज्य सरकारों की मजदूर विरोधी रवैये पर गम्भीर चिंता जाहिर की गई और विमर्श कर राज्य भर में मजदूर आन्दोलन तेज करने पर जोर दिया गया।
बैठक को सम्बोधित करते हुए असंगठित कामगार महासंघ (ऐक्टू) के राज्य महासचिव मुकेश मुक्त ने कहा कि मोदी सरकार ने मजदूर विरोधी लेबर कोड सहित अपनी मजदूर-विरोधी नीतियों को बिना किसी रोक-टोक के लागू करना जारी रखा है। अल्पमत में होने के बावजूद मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा है और वह अहंकार के साथ तीव्र गति से मजदूर विरोधी, जनविरोधी और उदारीकरण की नीतियों को आगे बढ़ाती जा रही है। ऐसा लगता है कि भाजपा – मोदी से एनडीए – मोदी तक सिर्फ नाम बदल गया है। लेबर कोड को लागू करके मोदी सरकार ने मेहनतकश लोगों के जीवन को संकट में डालना जारी रखा है। दूसरी ओर राज्य की भाजपा – नीतीश सरकार भी लगातार उन्हीं रास्तों पर आगे बढ़ रही है। सामाजिक सुरक्षा योजना और न्युमतम मजदूरी में लूट – भ्रष्टाचार चरम पर है।
उन्होंने बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की नीतीश सरकार में मजदूरों पर बढ़ते हमले के खिलाफ लड़ाई तेज करने के लिए ऐक्टू के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के बीच राज्य भर में 25 जुलाई से 8 अगस्त 2024 तक 15 दिनों का जोरदार अभियान चलाएगा, जिसका समापन 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन के दिन जिला मुख्यालयों में मजदूरों के विरोध प्रदर्शन के साथ होगा।अभियान की शुरुआत में 25 जुलाई 2024 को सभी जिलों में प्रतिवाद करते हुए मोदी सरकार का पुतला दहन किया जाएगा तथा 1 अगस्त 2024 को सामाजिक सुरक्षा व न्यूनतम मजदूरी की गारंटी एवं महंगाई के सवाल पर जिला श्रम कार्यालयों के समक्ष प्रदर्शन किया जाएगा। पूरे अभियान के दौरान मजदूरों से व्यापक संपर्क कर चार लेबर कोड और तीन नए क्रिमिनल कोड कानूनों को खत्म करने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। इसी बीच असंगठित मजदूरों को सदस्य बनाते हुए उन्हें संगठन से भी जोड़ा जाएगा।

ऑल इण्डिया कंस्ट्रक्शन वर्कर्स फेडरेशन (AICWF) के राष्ट्रीय महासचिव एसके शर्मा ने गरीबों – मजदूरों – कमजोर तबकों व उनके हक – अधिकार की आवाज को कुचलने और देश में पुलिस राज स्थापित करने की नियत से बनाए गए तीन नए क्रिमिनल कोड कानून की विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि मौजूदा आपराधिक न्याय प्रणाली को खत्म करने के साथ ही औपनिवेशिक काल से भी बदतर आपराधिक कानून व्यवस्था लोगों पर थोपी जा रही है। लोगों के मौलिक अधिकारों को दरकिनार किया जा रहा है। इस साल 1 जुलाई से नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं, जो वैध विरोधों को भी अवैध बना रहे हैं और मजदूरों से उनके विरोध के अधिकार को बेरहमी से छीन रहे हैं। उदारीकरण और निजीकरण के शासन के खिलाफ असहमति और विरोध को खत्म करने के लिए नए आपराधिक कानून लाए गए हैं। तीन नए आपराधिक कानूनों और चार श्रम संहिताओं का संयोजन कामगारों के अधिकारों और समग्र रूप से मजदूर वर्ग आंदोलन के लिए घातक साबित होगा। ऐसे में देश के मजदूर वर्ग आंदोलन को मोदी 3.0 के शासन के हमलों के खिलाफ लड़ने के लिए कमर कस लेनी चाहिए। इसे चुपचाप बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। मोदी सरकार पहले की तुलना में कमजोर पड़ चुकी है, इसके खिलाफ जोरदार आंदोलनों के जरिए मोदी सरकार को सड़कों पर उचित सबक सिखाने की जरूरत है।
बैठक को सम्बोधित करते हुए ऑल इण्डिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (ऐक्टू) के राज्य महासचिव आरएन ठाकुर ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा की अवधारणा को उलट-पुलट कर दिया गया है और इसका बोझ श्रमिकों के कंधों पर डाल दिया गया है। निश्चित अवधि रोजगार और संविदाकरण ने नियमितीकरण को मृगतृष्णा में बदल दिया है। मूल्य वृद्धि से जुड़ी न्यूनतम मजदूरी की अवधारणा को नाममात्र की फ्लोर लेवल मजदूरी में बदल दिया गया है और इसे जीवन – यापन योग्य मजदूरी के झूठे रुप में पेश किया जा रहा है। मोदी सरकार की तरह बिहार की नीतीश – भाजपा की डबल इंजन की राज्य सरकार ने भी मजदूरों पर हमले तेज कर दिए हैं। निर्माण सहित सभी असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के सामाजिक सुरक्षा योजना में कटौती की जा रही है। स्कीम वर्कर्स की जायज मांगो को बेवजह टाल रही है। सफाई मजदूर सहित अन्य ठेका मजदूरों का नियमितीकरण नहीं किया जा रहा है। जुझारु आंदोलनों के जरिए राज्य की नीतीश सरकार की कमर तोड़ दी जानी चाहिए।
बैठक में उपरोक्त सहित राज्य उपाध्यक्ष शिवशंकर प्रसाद व संगीता देवी राज्य सचिव सुभाष कुमार व पुरुषोत्तम प्र. सिंह, राज्य कोषाध्यक्ष शशिशेखर चौबे, राज्य कार्यकारिणी सदस्य प्रभुदयाल सिंह, राजेश कुमार दास, बच्चा बाबू, सिकंदर तांती, बालमुकुंद चौधरी, विद्या कुमार व हरी कुमार राय आदि विभिन्न जिलों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

