प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देश को संबोधित करते हुए कहा कि “वह दिन अब दूर नहीं जब भारत माओवादी आतंक से पूरी तरह मुक्त होगा।” प्रधानमंत्री ने यह बयान छत्तीसगढ़ और झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों की बढ़ती सफलता और विकास योजनाओं की प्रगति के संदर्भ में दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियां अब केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, और संचार जैसी मूलभूत सुविधाओं को इन इलाकों तक पहुंचाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मोदी ने यह भी कहा कि पिछले एक दशक में माओवादी हिंसा में भारी कमी आई है और आज लोग विकास को अपनाकर मुख्यधारा में लौट रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार ने नक्सल प्रभावित जिलों में “समग्र विकास मॉडल” लागू किया है, जिसके तहत युवाओं को रोजगार, महिला स्व-सहायता समूहों को वित्तीय सहयोग, और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को सशक्त करने की दिशा में अभूतपूर्व काम हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले जो इलाके पुलिस और प्रशासन की पहुंच से बाहर माने जाते थे, वहां अब बिजली, इंटरनेट और सड़कें पहुंच चुकी हैं। मोदी ने सुरक्षा बलों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी प्रतिबद्धता और साहस के कारण आज माओवादी नेटवर्क कमजोर हुआ है। उन्होंने यह भरोसा दिलाया कि सरकार शांति और विकास के रास्ते पर अडिग है और किसी भी हाल में निर्दोष नागरिकों की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि माओवादी हिंसा केवल सुरक्षा की समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक असमानता की देन है। इसलिए, सरकार का फोकस केवल बंदूक से जवाब देने पर नहीं, बल्कि संवाद और विकास के जरिए स्थायी समाधान खोजने पर है। उन्होंने राज्यों से अपील की कि वे केंद्र के साथ मिलकर इस दिशा में काम करें ताकि जो लोग अभी भी हिंसा के रास्ते पर हैं, वे समाज की मुख्यधारा में वापस लौट सकें। प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि “नए भारत में कोई ऐसा कोना नहीं बचेगा जहां भय, हिंसा और विकास की कमी हो। यह देश जल्द ही माओवादी आतंक के साये से मुक्त होकर एक मजबूत, समृद्ध और शांतिपूर्ण भविष्य की ओर बढ़ेगा।”

